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पावा- पड़रौना अनुशीलन : १०५:
पर ( काँप मिट्टी ) मुलायम मिट्टी के बने धरातल के कारण गहरा कटाव करती है तथा कटी हुई मुलायम मिट्टी को अपने साथ बहाकर बिछा देती है । इस अवरोध के कारण भयंकर बाढ़ आती है। गोरखपुर गजेटियर' से स्पष्ट है कि गर्मियों में भी इसकी धारा का वेग, हरिद्वार में गंगा के वेग से दूना रहता है । पाण्डेय ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है ।
गंडक इरीगेशन एण्ड पावर प्रोजेक्ट की रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि वर्षा के दिनों में गंडक का वेग ५५५, ४६० क्यूसेक्स तथा गर्मी के दिनों में घटकर १०,००० क्यूसेक्स हो जाता है, इसके परिणामस्वरूप वर्षा के दिनों में गंडक नदी ४० से ५० फीट गहराई तक भूमि का कटाव करती है । ब्रिटिश सरकार ने गंडक नदी पर रेलवे पुल बनवाया था, किन्तु नदी के तीव्र बहाव के कारण पुल के कई खम्भे बह गये । तत्कालोन बंगाल नार्थ-वेस्टर्न रेलवे (आधुनिक नार्थ इस्टर्न रेलवे) के इतिहास के अध्ययन से ज्ञात होता है कि छितौनी - बगहा के मध्य १८९० में एक पुल का निर्माण हुआ था, जिसकी लम्बाई ९०० मीटर थी, उक्त पुल १९२४ में भीषण बाढ़ के कारण बह गया, इसके कई स्तम्भ धराशायी हो गये, जिसके खण्डहर आज भी दृष्टिगोचर होते हैं । स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस क्षेत्र के आवागमन के समस्या समाधान हेतु तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने छितौनी - बगहा के मध्य विशाल रेलवे पुल के निर्माण हेतु शिलान्यास २२ अक्तूबर १९७३ में खड्डा तथा छितौनी के बीच मलहिया नामक स्थान पर किया था । किन्तु प्रस्तावित योजना कार्यान्वित न हो सकने के कारण तत्कालोन रेलवे मंत्री जार्ज फर्नाण्डीज ने ७ जनवरी १९९० को पुनः शिलान्यास किया है ।
हिमालय पर्वत की ऊँचाई में वृद्धि, गंडक की उद्गम स्थलो, गंडक की ढलान एवं कोणिक प्रवाह में परिवर्तन, वर्षा का आनुपातिक सम्बन्ध आदि प्राकृतिक कारणों से गंडक के प्रवाह की दिशा में निरन्तर परिवर्तन
१. नेविल, एच० आर०, गोरखपुर गजेटियर, खण्ड ३१, पृ० ४
२. गोरखपुर जनपद और उसकी क्षत्रिय जातियों का इतिहास, पृ० ११
३. गण्डक इरीगेशन पावर प्रोजेक्ट, पृ० ३३४-३५, बिहार गवर्नमेण्ट, पटना, १९५१
४. हिस्ट्री इण्डियन रेलवेज, पृ० ११०, रेलवे बोर्ड, गवर्नमेण्ट प्रिंटिंग प्रेस.. नई दिल्ली
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