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________________ ८८ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श विद्वान् मलल सेकर', श्री नाथूराम प्रेमी एवं नेमिचन्द्र शास्त्री ने भो उपयुक्त तथ्य की पुष्टि की है। रुग्णता की ऐसी भीषण अवस्था में बुद्ध के लिए बिहार शरीफ के निकट स्थित पावापुरी से देवरिया जनपद में स्थित कुशीनगर तक २३५ मोल दूर तक आने की कल्पना न केवल अतर्कसंगत वरन् असंभव है। सामगामसुत्त में महावीर के निर्वाण के सम्बन्ध में पूछे गये इस प्रश्न में, कि 'यह नातपुत्त तो नालन्दावासो था फिर पावा में कैसे कालगत हुआ? व्यक्त आश्चर्य से यह स्पष्ट ध्वनित होता है कि नालन्दा से पावा कहीं बहुत दूर है। योगेन्द्र मिश्र ने पावा को भौगोलिक स्थिति के विषय में गंगा और गण्डक नदी के सन्दर्भ से विचार किया है। भगवान् बद्ध राजगह से चलकर गंगा नदी पार करके ही वैशाली आये थे । वैशाली से पावा होकर कुशीनगर जाने में पुनः गंगा नदो नहीं पड़ी थी। वैशाली से पावा जाने के लिए बद्ध को गण्डक नदो पार करनी पड़ी थी। इससे सिद्ध होता है कि पावा वैशाली एवं गण्डक से पश्चिम में स्थित थी। यदि यह वैशाली एवं गण्डक के दक्षिण में होती तो गण्डक पार करने का उन्हें अवसर नहीं आता बल्कि उन्हें गंगा पार कर जाना पड़ता। महावीर के निर्वाण के समय काशो-कोशल के ९ मल्लों, ९ लिच्छवियों इन १८ राजाओं के उपस्थित होने का वर्णन आता है, इससे स्पष्ट है कि पावा काशी-कोशल क्षेत्र में ही थी। मैत्री भावना, भौगोलिक सामीप्य, शासन को एकरूपता तथा सबसे बढ़कर महावीर के प्रति इनको श्रद्धा इन्हें एक साथ पावा ले आयी। चीनी यात्रियों फाह्यान एवं हनसांग ( ३९९-४१४ ई०), (६२९६४५ ई०) द्वारा अपनी भारत यात्रा के समय बौद्ध स्थलों का भ्रमण कर उनका विस्तृत विवरण दिया गया है। इन यात्रियों के विवरण से राजगृह तथा नालन्दा पर विस्तृत प्रकाश पड़ता है किन्तु अभीष्ट स्थल पावापुरी के विषय में कोई संकेत नहीं मिलता है । ह्वेनसांग ने १ मार्च ६३७ ई० से १ जनवरी ६३९ ई० तक नालन्दा स्थित विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। निकटवर्ती धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया और उनका विवरण भी दिया, परन्तु पावा का कोई उल्लेख नहीं आया। इसके विपरीत कुशीनगर यात्रा के सन्दर्भ में उन्होंने पावा का उल्लेख किया है । इत्-सिंग (६७३ ई० ) ने भी नालन्दा विश्वविद्यालय में आकर काफी समय तक १. मलल सेकर-पालि प्रापरनेम पृ० १९३ । . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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