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________________ पावा की अवस्थिति सम्बन्धी विभिन्न मत : ८७ ७वीं से १२वीं शताब्दी के जैन साहित्य में पावापुरी का निरन्तर उल्लेख आता है। गुलाबचन्द्र चौधरी, के अनुसार-"पावा विषयक, जैन उल्लेखों का विश्लेषण करने से पता लगता है कि महावीर के निर्वाण स्थल के रूप में पावा की अनुश्रुति, जैन ग्रन्थकारों के पास थी किन्तु वह कहाँ है इसका ज्ञान उन्हें नहीं था। यदि उनका आशय नालंदा जिले की वर्तमान पावापुरी से होता जो मगध की प्राचीन राजधानी राजगह से ( आजकल पगडंडी के रास्ते ) ९-१० मील की दूरी पर स्थित है तो मगध राज्य के उल्लेख के अन्तर्गत पावापुरी की चर्चा अवश्य रही होती। महावीर के निर्वाण का वर्णन करते समय राजगृह और पावा का साथसाथ उल्लेख होना चाहिए था, पर ऐसा किसी ग्रन्थ में नहीं किया गया है। राजगृह का वर्णन आचरांगसूत्र, सूत्रकृतांग, भगवतीसूत्र; ज्ञाताधर्मकथा, अन्तकृद्दशांग, अनुत्तरोपपातिक, उत्तराध्ययन, तिलोयपण्णत्ति, पद्मपुराण, हरिवंश पुराण, विविध तीर्थ-कल्प आदि ग्रन्थों में मिलता है। पर किसी भी ग्रन्थ में राजगृह के निकटस्थ पावापुरी या पावा का उल्लेख नहीं है । जबकि राजगृह से १ मील दूर स्थित, नालंदा का वर्णन, राजगृह के साथ-साथ बहुत बार आया है। सूत्रकृतांग में एक अध्याय का नाम नालन्दीय अध्ययन है। विविध तीर्थकल्प ( सन् १३०७ ई० ) के वैभारगिरि कल्प ( ११ वाँ ) में राजगृह के आस-पास के स्थानों का वर्णन दिया गया है, उसमें नालन्दा का भी उल्लेख किया गया है, पर राजगृह के समीपस्थ पावा का इस कल्प में उल्लेख नहीं किया गया है। 'वैभारगिरिकल्प' का रचना काल वि० सं० १३६४ है। बौद्ध ग्रन्थ महापरिनिर्वाणसुत्त के चतुर्थ भाणवार के अध्ययन सुमंगल विलासिनी में, कुशीनगर में महापरिनिर्वाण के पूर्व पावा में चुन्द कुमार पुत्र के यहाँ सूकरमार्दव की अन्तिम भिक्षा ग्रहण कर बुद्ध रुग्ण हो गये थे । वे पावा से कुशीनगर तक की यात्रा में २५ स्थानों पर ठहरते हुए सायंकाल तक कुशीनगर के शालवन में पहुंच पाये थे। आधुनिक १. चौधरी, गुलाबचन्द्र-भगवान् महावीर की निर्वाण भूमि पावा, प्राचीन पावा, पृ० ६२। २. दीघनिकाय, ( हि° अनुवाद, ) महापरिनिव्वाण सुत्त, २-३, पूर्वोक्त पृ० । १३६-१४० । ३. प्रो० तिवारी, महेश–'सुमंगल विलासिनी' द्वि० ख०, पृ० २८२ नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा, पटना १९७४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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