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यशोधरचरित्र की लोकप्रियता
३८. यशोधर- जयमाल नाम से हिन्दी में एक रचना एक गुटके में उपलब्ध है । इसके रचयिता या रचनाकाल का पता नहीं चलता ।
३९. सोमदत्तसूरि ने हिन्दी में यशोधररास लिखा । इसके रचनाकाल आदि का पता नहीं चलता । यह बधीचन्दजी का मंदिर, जयपुर में गुटका संख्या ४८, वेष्टन संख्या १०१३ (ख) में सुरक्षित है । १९
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४०. यशोधरचरित्र भाषा नाम से एक पाण्डुलिपि उपलब्ध है, जिसके रचयिता आदि का पता नहीं चलता ।
४१. पं० लक्ष्मीदास ने पुरानी हिन्दी में यशोधरचरित्र लिखा । लक्ष्मीदास ने अपनी कृति के प्रारम्भ में कहा है कि उन्होंने पद्मनाभ की शैली और विधा के आधार पर यशोधरचरित्र की रचना की ।
४२. जिनचन्द्रसूरि ने पुरानी गुजराती में यशोधरचरित्र लिखा । सम्भवतया जिनचन्द्रसूरि १६वीं शती के विद्वान् थे ।
४३. देवेन्द्र ने पुरानी गुजराती में यशोधररास लिखा ।
४४. लावण्यरत्न ने सं० १५७३ (१५१६ ई०) में गुजराती में यशोधरचरित्र लिखा ।
४५. लावण्यरत्न के समान ही मनोहरदास ने भी सं० १६७६ (१६१९ ई०) में गुजराती में यशोधरचरित्र लिखा ।
४६. ब्रह्मजिनदास ने सं० १५२० (१४६३ ई०) में यशोधररास लिखा । ४७. इसी तरह जिनदास ने सं० १३७० (१६१३ ई०) में यशोधररास लिखा ।
४८. विवेकराज ने संवत् १५७३ में यशोधररास लिखा ।
४९. यशोधरकथा चतुष्पदी के नाम से एक ओर गुजराती पाण्डुलिपि प्राप्त होती है । इसके रचयिता आदि का पता नहीं चलता । ०
५०. एक अज्ञात लेखक ने तमिल भाषा में यशोधरचरित्र लिखा । इसका समय १०वीं शताब्दी है और सम्भवतः यह वादिराज की कृति है ।
१६. वहीं, भाग ३, पृ० १२६
२०. लिंबडीना जैन ज्ञान भण्डारनी हस्तलिखित प्रतियानु सूची पत्र, पृ० १२३
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