________________
यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन
५१. श्री चन्द्रनवर्णी ने कन्नड़ में यशोधरचरित्र लिखा । ये श्रुतमुनि के पौत्र प्रशिष्य शुभचन्द्र के पुत्र थे । रचनाकाल या लिपिकाल का पता नहीं चलता।"
५२. कवि चन्द्रम ने भी कन्नड़ में यशोधरचरित्र लिखा। इनके भी समय आदि का पता नहीं चलता। २२
५३.-५४. इनके अतिरिक्त और भी दो पाण्डुलिपियाँ कन्नड़ में यशोधरचरित्र की उपलब्ध होती हैं। इनके रचयिता आदि का पता नहीं चलता । २३
२१. कन्नड़प्रान्तीय ताडपत्रीय ग्रन्थसूची, पृ० १५६ २२, वही २३. वही
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org