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यशस्तिलक और सोमदेव सूरि राज्यशासन से दीर्घकाल तक रहा है। दक्षिण भारत में राष्ट्रकूटों के संपर्क में भी वे बहुत काल तक रहे प्रतीत होते हैं। यशस्तिलक में राज्यतन्त्र और उसके विभिन्न अवयवों के जो वर्णन हैं, वे सोमदेव के चित्रग्राहिणी प्रतिभा द्वारा स्वयं गृहीत चित्र हैं। इतने स्पष्ट और सांगोपांग वर्णन बिना इसके सम्भव न थे। बाण ने अपने युग के महान् प्रतापी सम्राट हर्ष के राज्यतन्त्र का चित्रांकन अपने हर्षचरित में किया था, सोमदेव ने अपने युग के महाप्रतापी राष्ट्रकूटों के राज्यतन्त्र का चित्रांकन अपने महनीय ग्रन्थ यशस्तिलक में किया।
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