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परिच्छेद एक में यशस्तिलक में उल्लिखित सैंतालिस जनपदों का परिचय है। अवन्ति, अश्मक, अन्ध्र, इन्द्रकच्छ, कम्बोज, कर्णाट या कर्णाटक, करहाट, कलिंग, क्रथकैशिक, काँची, काशी, कीर, कुरुजांगल, कुन्तल, केरल, कोंग, कौशल, गिरिकूटपत्तन, चेदि, चेरम, चोल, जनपद, डहाल, दशार्ण, प्रयाग, पल्लव, पांचाल, पाण्डु या पाण्ड्य, भोज, बर्बर, मद्र, मलय, मगध, यौधेय, लम्पाक, लाट, वनवासि, बंग या बंगाल, बंगी, श्रीचन्द्र, श्रीमाल, सिन्धु, सूरसेन, सौराष्ट्र, यवन तथा हिमालय इन सैंतालिस जनपदों में से यशस्तिलक में कई एक का एक बार और अधिकांश का एक से अधिक बार उल्लेख हुआ है। इस परिच्छेद में इन सबका परिचय दिया गया है ।
परिच्छेद दो में यशस्तिलक में उल्लिखित चालीस नगर और ग्रामों का परिचय है। अहिच्छत्र, अयोध्या, उजयिनी, एकचक्रपुर, एकानसी, कनकगिरि, कंकाहि, काकन्दी, काम्पिल्य, कुशाग्रपुर, किन्नरगीत, कुसुमपुर, कौशाम्बी, चम्पा, चुंकार, ताम्रलिप्ति, पद्मावतीपुर, पद्मनिखेट, पाटलिपुत्र, पोदनपुर, पौरव, बलवाहन पुर, भावपुर, भूमितिलकपुर, उत्तरमथुरा, दक्षिणमथुरा या मदुरा, मायापुरी, मिथिलापुर, माहिष्मती, राजपुर, राजगृह, वल्लभी, वाराणसी, विजयपुर, हस्तिनापुर, हेमपुर, स्वस्तिमति, सोपारपुर, श्रीसागर या श्रीसागरम्, सिंहपुर तथा शंखपुर, इन चालीस नगर और ग्रामों के विषय में यशस्तिलक में जानकारी आयी है। इस परिच्छेद में इनका परिचय दिया गया है।
परिच्छेद तीन में यशस्तिलक में उल्लिखित बृहत्तर भारतवर्ष के पाँच देश- नेपाल, सिंहल, सुवर्णद्वीप, विजया तथा कुलूत का परिचय दिया गया है।
परिच्छेद चार में यशस्तिलक में उल्लिखित पन्द्रह वन और पर्वतों का परिचय है। सोमदेव ने कालिदासकानन, कैलास, गन्धमादन, नाभिगिरी, नेपालशैल, प्रागद्रि, भीमवन, मन्दर, मलय, मुनिमनोहरमेखला, विन्ध्य, शिखण्डिताण्डव, सुवेला, सेतुबन्ध और हिमालय का उल्लेख किया है। इन सबके विषय में इस परिच्छेद में जानकारी दी गयी है।
परिच्छेद पाँच में यशस्तिलक में उल्लिखित सरोवर तथा नदियों का परिचय दिया गया है। सोमदेव ने मानस या मानसरोवर झील तथा गंगा, यमुना, नर्मदा, जलवाहिनी, गोदावरी, चन्द्रभागा, सरस्वती, सरयू, शोण, सिन्धु तथा सिप्रा नदी का उल्लेख किया है। इस परिच्छेद में इनके बारे में . जानकारी प्रस्तुत की गयी है।
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