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________________ यशस्तिलक और सोमदेव पर अब तक हुये कार्य का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुये यशस्तिलक और नीतिवाक्यामृत के अब तक प्रकाशित संस्करण, विभिन्न पत्र-पत्रिकामों में प्रकाशित शोध-निबंध तथा प्रो० हन्दिकी के समीक्षा ग्रन्थ की जानकारी दी गयी है। सोमदेव के जीवन और साहित्य का जो परिचय उपलब्ध होता है, उससे उनके उज्ज्वल पक्ष का ही पता चलता है। नीतिवाक्यामृत और यशस्तिलक उनकी उपलब्ध रचनायें हैं। षण्णवतिप्रकरण आदि चार अन्य ग्रन्थ अनुपलब्ध हैं। नीतिवाक्यामृत के संस्कृत टीकाकार ने सोमदेव को कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार नरेश महेन्द्रदेव का अनुज बताया है। यशस्तिलक के दो पद्य भी महेन्द्रदेव और सोमदेव के सम्बन्धों की ओर संकेत करते हैं। उनका अनुपलब्ध ग्रन्थ महेन्द्रमातलिसंजल्प और सोमदेव का देवान्त नाम भी शायद इस पोर इंगित है। महेन्द्र पालदेव द्वितीय तथा सोमदेव के सम्बन्धों में कालिक कठिनाई भी नहीं आती। यशस्तिलक में राजनीति और शासन का जो विशद वर्णन है, उससे सोमदेव का विशाल राज्यतन्त्र प्रौर शासन से परिचय स्पष्ट है । इतनी सब सामग्री होते हये भी मेरी समझ से सोमदेव को प्रतिहार नरेश महेन्द्रपालदेव का अनुज मानने के लिए अभी और भधिक ठोस साक्ष्यों की अपेक्षा बनी रहती है। ___ यशस्तिलक चालुक्यवंशीय परिकेसरी के प्रथम पुत्र वद्यग की राजधानी गंगाधारा में रचा गया था। अरिकेसरिन् तृतीय के एक दानपत्र से सोमदेव और चालुक्यों के सम्बन्धों का और भी दृढ़ निश्चय हो जाता है। चालुक्य वंश दक्षिण के महाप्रतापी राष्ट्रकूटों के अधीन सामन्त पदवी धारी था। यशस्तिलक राष्ट्रकूट संस्कृति को एक विशाल दर्पण की तरह प्रतिबिम्बित करता है। जिस तरह बाणभट्ट ने हर्षचरित और कादम्बरी में गुप्त युग का चित्र उतारने का प्रयत्न किया, उसी तरह सोमदेव ने यशस्तिलक में राष्ट्रकूट युग का। सोमदेव देव संघ के साधु थे। अरिकेसरी के दानपत्र में उन्हें गौड संघ का कहा गया है। वास्तव में ये दोनों एक ही संघ के नाम थे। देव संघ अपने युग का एक विशिष्ट जैन साधुसंघ था। सोमदेव के गुरु, नेमिदेव ने सैकड़ों महावादियों को वाग्युद्ध में पराजित किया था। सोमदेव को यह सब विरासत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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