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________________ परिच्छेद चार वन और पवत १. कालिदासकानन पांचाल देश में अहिच्छत्र के निकट जलवाहिनी नदी के किनारे आमों का एक बहुत बड़ा बगीचा था, जिसे कालिदासकानन कहते थे। सोमदेव ने यशस्तिलक में कालिदास का आम के अर्थ में एक अन्य स्थल पर भी प्रयोग किया है। २. कैलास यशस्तिलक में यशोधर को कैलासलांछन कहा गया है ।२ हिमालय की एक चोटी का नाम अब भी कैलास है। ३. गन्धमादन गन्धमादन को श्रुतदेव ने हिमाचल के पास में बताया है। यशस्तिलक के सल्लेखानुसार गन्धमादन में भोजपत्र बहुतायत से होते थे।४ ४. नाभिगिरि मगध में सोपारपुर नगर के किनारे नाभिगिरि नाम का पर्वत था।' ५. नेपालील यशस्तिलक में नेपाल पर्वत की तराई में कस्तूरी मृग पाये जाने का उल्लेख है । १. जलवाहिनीनामनदीतटनिकटनिविष्टप्रतनने महति कालिदासकानने। - श्रा० ६, क०१ २. कैलासलांछनः। - पृ० ५६६ ३. गन्धमादनं नाम वनं हिमाचलोपकंठे वर्तते । - पृ० ५७४, सं० टी० ४. भूर्जवल्कलोन्माथमन्थरे । - वही ५. मगधविषये सोपारपुरपर्यन्तधाम्नि नाभिगिरिनाम्नि महीधरे । -प्रा० ६, क० १५ ६. नेपालशैलमेखलामृगनाभिसौरभनिभरे। - पृ० ५७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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