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________________ २८६ १२. कुसुमपुर पाटलिपुत्र का दूसरा नाम कुसुमपुर था ( आ०४ ) | १३. कौशाम्बी . कौशाम्बी का दो बार उल्लेख है । 3° इसकी पहचान इलाहाबाद के पश्चिम में करीब बीस मील दूर जमुना के किनारे स्थित कोसम नामक स्थान से की जाती है । सं० टोकाकार ने लिखा है कि कौशाम्बी नगरी वत्स देश में गोपाचल ( ग्वालियर ) से ( ४४ गव्यूति ) ८८ कोस दूर है । ३१ यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन बौद्ध ग्रन्थों में ( महासुदरसन सुत्तन्त ) कौशाम्बी को एक बहुत बड़ी नगरी बताया गया है । १४. चम्पा सोमदेव के अनुसार चम्पा प्राचीन अंगदेश की राजधानी थी । ३२ बिहार प्रान्त के भागलपुर और मुंगेर जिले के आस-पास का भाग अंग कहलाता था । चम्पा वर्तमान भागलपुर के पास माना जाता है । १५. चुंकार यशस्तिलक में बृहस्पति की कथा के प्रसंग में चुंकार का उल्लेख आया है । 33 लोचनांजनहर नामक एक बदमाश ने साधुचरित बृहस्पति की बदनामी उड़ा दी । फल यह हुआ कि मिथ्यावाद के कारण वे इन्द्रसभा में प्रवेश न पा सके । १६. ताम्रलिप्ति यशस्तिलक के अनुसार ताम्रलिप्ति पूर्वदेश के गौड़मण्डल में था 13 वर्तमान तामलुक जो कि बंगाल के मिदनापुर जिले में है, से इसकी पहचान की जाती है । ३०. पृ० ३७७ ४, ६०, ३२६ / ६ उत्त० ३१. पृ० ५६८, सं० टी० ३२. अंगमण्डलेषु चम्पायां पुरि । - ३३. पृ० १३८ उत्त० ३४. ० ६, क० १२ Jain Education International ... • आ०६, क० ८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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