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यशस्तिलककालीन भूगोल
२८५ जैन अनुश्रुति के अनुसार काकन्दी बारहवें जैन तीर्थकर पुष्पदन्त की जन्मभूमि थी । सोमदेव ने इस तथ्य का समर्थन किया है ।२४ ६. काम्पिल्य
काम्पिल्य की पहचान उत्तरप्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित काम्पिल्य नामक स्थान से की जाती है । यशस्तिलक के अनुसार काम्पिल्य पांचाल देश में थी।२५
१०. कुशाग्रपुर
कुशाग्रपुर मगध का केन्द्र तथा पुरानी राजधानी थी।२६ युवानच्यांग ने भी कुशाग्रपुर का उल्लेख किया है और उसे मगध का केन्द्र तथा पुरानी राजधानी बताया है। वहाँ एक प्रकार को सुगन्धित घास बहुतायत से होती थी, उसी के कारण उसका नाम कुशाग्रपुर पड़ा। हेमचन्द्र के त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र में सुरक्षित परंपरा के अनुसार प्रसेनजित कुशाग्रपुर का राजा था। कुशाग्रपुर में लगातार आग लगने के कारण प्रसेनजित ने यह आज्ञा दी थी कि जिसके घर में आग पायी जायेगी वह नगर से निकाल दिया जायेगा। इसके बाद राजमहल में आग पायी जाने के कारण प्रसेनजित ने नगर छोड़ दिया क्योंकि वह स्वयं राजघोषणा से बंधा था। इसके बाद उसने राजगृह नगर बसाया।२७ राजगृह बिहार प्रान्त में पटना के दक्षिण में स्थित आज का राजगिरि है। राजगिरि को पंचशैलपुर भी कहते हैं । वह पांच पहाड़ियों से घिरा है । सोमदेव ने भी इसका दूसरा नाम पंचशैलपुर लिखा है । २८ ११. किन्नरगीत
किन्नरगीत को सोमदेव ने दक्षिण श्रेणी का नगर बताया है ।२९ ।।
२४. श्रीमत्पुष्पदन्तभदन्तावतारावतीर्णत्रिदिवपतिसंपादितो द्यावेन्दिरासत्यां काकन्यां
पुरि । - प्रा० ७, क. २४ २५. पां वालदेशेषु त्रिदशनिवेशानुकूलोपशल्ये काम्पिल्ये। - प्रा० ७, क० ३२ २६. मगधदेशेषु कुशाग्रनगरोपान्तापातिनि । - आ० ६, क० ६ २७. जान्मन-इंडियन हिस्टॉ० क्वा० जिल्द २२, पृ० २२८ २८. राजगृहापरनामावसरे पंचशैलपुरे । - पृ० ३०४, उत्त० २६. दक्षिणश्रेण्यां किन्नरगीतनामनगरनरेन्द्रेण । - अ० ६, क० ८
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