________________
परिच्छेद दो
नगर और ग्राम
सोमदेव ने यशस्तिलक में चालीस ग्राम और नगरों का उल्लेख किया है। इनके विषय में विशेष जानकारी इस प्रकार है :१. अहिच्छत्र
अहिच्छत्र की पहचान उत्तरप्रदेश के बरेली जिले में स्थित रामनगर नामक ग्राम से की जाती है। जैन अनुश्रुति के अनुसार इस ग्राम में तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने कठोर तपस्या की थी। कमठ नामक व्यन्तर ने उनके ऊपर घोर उपसर्ग किया, फिर भी वे अपनो तपस्या में अडिग रहे। उनको इस कठोर साधना का यश चारों ओर फैल गया। सोमदेव ने इसी भाव का संकेत किया है।' यशस्तिलक के उल्लेख के अनुसार अहिच्छत्र पांचाल देश में था। पांचाल उत्तरप्रदेश के रुहेलखण्ड प्रदेश को माना जाता है। अन्यत्र इसकी विशेष चर्चा को गयो है। यशोधर महाराज को अहिच्छत्र के क्षत्रियों में शिरोमणि कहा गया है। २. अयोध्या
यशस्तिलक के उल्लेखानुसार अयोध्या कोशल में थी। कोशल देश का यशस्तिलक में अन्यत्र भी उल्लेख आया है। अयोध्या कोशल की राजधानी थी। रघु और उनके उत्तराधिकारियों ने बहुत समय तक अयोध्या को अपनी राजधानी बनाये रखा। रघुवंश में इसके अनेक उल्लेख आते हैं । ३. उज्जयिनी
उज्जयिनी का यशस्तिलक में एक अत्यन्त सुन्दर एवं पूर्ण चित्र प्रस्तुत किया गया है । उज्जयिनी अवन्ति जनपद में थी। यह नगरी पृथुवंश में उत्पन्न होनेवाले
१. श्रीमत्पार्श्वनाथपरमेश्वरयशःप्रकाशनाम। अहिच्छत्रे -अ. ६, क. १५ २. अहिच्छत्रक्षत्रियशिरोमणि । -पृ० ३७७।२ हिन्दी ३. कोशलदेशमध्यायामयोध्यायां पुरि। -आ० ६ क०८ ४. पृ० ३१४९३ हिन्दी ५. भवन्तिषु विख्याता ।-पृ० २०४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org.