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________________ यशस्तिलककालीन भूगोल नामक राजा को मार डाला था । मथुरा का पुराना नाम सूरसेन था । १०० ४५. सौराष्ट्र सौराष्ट्र का दो बार उल्लेख हुआ है । १०९ संस्कृत टीकाकार ने सौराष्ट्र के गिरिनार का भी उल्लेख किया है । १०२ ४६. यवन सोमदेव ने यशोधर को यवनकुल के लिए वस्त्राग्नि के समान कहा है । १°३ सोमदेव ने लिखा है कि यवनदेश में मणिकुण्डला नामक महारानी ने अपने पुत्र को राज्य दिलाने के लिए शराब में विष मिलाकर अजराज नामक राजा को मार डाला था । १०४ एक अन्य प्रसंग में यवनी स्त्रियों का उल्लेख है । १०४ श्रुतदेव ने यवन का अर्थ खुराशान देश किया है, १०६ जो उचित नहीं है । अजराज तक्षशिला में राज्य करता था । ४७. हिमालय हिमालय का जनपद तथा पर्वत दोनों रूपों में उल्लेख है । इसके लिए हिमाचल ( पृ० २१३ ) के अतिरिक्त शिशिरगिरि ( पृ० ४७० ), तुषारगिरि ( पृ० ५७४ ), तथा प्रालेयशैल ( पृ० ३२२ ) नाम भी आये हैं । हिमाचल प्रदेश का अधिपति सम्राट् यशोधर के दरबार में ग्रन्थिपर्ण की भेंट लेकर उपस्थित हुआ । १०७ १००. सूरसेनेषु सुरतविलासम् । पृ० १५२ १०१. पृ० ३४ सं० पू० तथा पृ० ३०२ उत्त० १०२. सौराष्ट्रषु गिरिनारिसौराष्ट्रियोषित्सु । - पृ० ३४ सं० टी० २८१ १०३. यवनकुलवज्रा निलः । - पृ० ५६० सं० पू० १०४. विषदूषितमद्यगण्डूषेण मणिकुण्डला महादेवी यक्नेषु निजतनुज राज्यार्थमजराजं जघान । पृ० १५२ उत्त० १०५. यवनी नितम्बनखपदविमुग्ध । – १० १८० १०६. यवनो नाम खुराशानदेशः । - वही, सं० टी० १०७. शिशिरगिरिपतिर्ग्रन्थिपर्णैरुदीर्णैः । - पृ० ४७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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