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श्रीमाल
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श्रीमाल का भी एक बार उल्लेख है। जोधपुर राज्य के भिनमाल नामक स्थान से इसकी पहचान की जाती है । कुवलयमाला कहा ( ८वीं शती ) में भिल्लमाल का उल्लेख है । यह जैनों का एक गढ़ था । यहाँ से निकलने वाले जैन वर्तमान में राजस्थान, पश्चिम भारत तथा उत्तरप्रदेश में पाये जाते हैं । इनको श्रीमाल कहा जाता है, वे भी स्वयं अपने को श्रीमाल मानते हैं ।" ९४
यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन
४३. सिन्धु
सिन्धु देश का उल्लेख सोमदेव ने वहां के घोड़ों के साथ किया है । सिन्धु देश के राजा ने अच्छी किस्म के बहुत से घोड़े लेकर अपने दूत को सम्राट् यशोधर के पास भेजा । ९५
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वहाँ से आने वाले घोड़ों का कालिदास ने भी उल्लेख किया है ।
सिन्धु देश सिन्धु नदी के दोनों किनारों पर इसके मुहाने तक विस्तृत था । कालिदास के अनुसार इसमें गन्धर्व निवास करते थे जिन्हें भरत ने पराजित किया । ९७ इस देश में तक्षशिला और पुष्कलावती अवस्थित थे । इनका नाम भरत ने अपने दोनों पुत्रों तक्ष और पुष्कल के नाम पर रखा था और उन्हें वहाँ का राज्य सौंप दिया था । QG
सिन्धु हमेशा घोड़ों के लिए प्रसिद्ध रहा है । अमरकोषकार ने इसी कारण सैन्धव और गन्धर्व घोड़ों के पर्याय दिये हैं । ९९ सोमदेव ने सिन्धु के घोड़ों का उल्लेख किया है ।
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४४. सूरसेन
सूरसेन का भी एक बार उल्लेख है । सोमदेव ने लिखा है कि सूरसेन जनपद में वसन्तमति ने अपने अधरों में विषमिला अलक्तक लगाकर सुरतविलास
६३. पृ० ३१४ हि०
६४. भारतीय विद्या जिल्द दो, भाग १ -२ में श्री जिनविजय जी ६५. तुरगनिवह एषः प्रेषितः सैन्धवैस्ते । ६६. रघु० १५/८७
- पृ० ३१४ हि०
६७. वही १५८८
६८. वही १५८६ ६६. अमरकोष २८४५
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