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यशस्तिलककालीन भूगोल के दरबार में उपस्थित हआ।६१ एक स्थान पर आया है कि चण्डरसा नामक स्त्री ने कबरी में छिपाये हुए असिपत्र से मुण्डीर नामक राजा को मार डाला था। ३०. भोज
भोज या भोजावनी का एक बार उल्लेख है । ७१ विदर्भ या बरार भोजावनी कहा जाता था। भोजावनी कहने का प्रयोजन यही है कि यहां बहुत काल तक भोज राजाओं का साम्राज्य था। रघुवंश में भी इस बात का उल्लेख है ।७२ ३१. बर्बर
बर्बर का एक बार उल्लेख है । ७3 इसकी व्याख्या अश्मक के प्रसंग में को गयी है। ३२. मद्र
मद्र का भी एक बार उल्लेख है।७४ इसकी पहचान पंजाब प्रान्त में रावी और चेनाव के बीच में स्थित स्यालकोट से की जाती है ।
३३. मलय
यशस्तिलक में मलय का दो बार उल्लेख है। दोनों स्थानों पर मलय को अंगनाओं का वर्णन किया गया है।७५ मलय पर्वत के आसपास का प्रदेश मलय नाम से प्रसिद्ध था। ३४. मगध
सोमदेव ने यशोधर को मगध की स्त्रियों के लिए विलासदर्पण की तरह कहा है।७६ संस्कृत टोकाकार ने मगध को राजगृह ( वर्तमान राजगृही ) कहा है ।
६६. अयमपि च समास्ते पाण्डयदेशाधिनाथस्तरलगुलिकहारप्राभृतम्यग्रहस्तः ।-पृ०४६६ ७०. कबरीनिगूढ़ेनासिपत्रेण चण्डरसा मुण्डीरम् । - पृ० १५३ उत्त० ७१. गी जहीहि भोजावनीश । - पृ० १८५ ७२. रघुवंश ५।३६ ७३. गर्व बर्बर मुंच । - पृ० ३६६ ७४ प्रविश रे मद्रेश देशान्तरम् । – पृ० ३६६ ७५. मलयस्त्री रतिभरकेलिमुग्ध । - पृ० १८०
मलयांगनांगनखदाननिरत । -- पृ० १८८ ७६. मागधवधूविलासदर्पणः । -- पृ० ५६८ ७७. मागधवधूनां राजगृहस्त्रीणाम् | - वही, सं० टी०
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