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यशस्तिलककालीन भूगोल
देश | ५९ मंजिष्ठा ओर सभंग दोनों एक ही हैं ।
एक स्थान पर टोकाकार ने चोल को गंगापुर कहा है जो गंगकोण्डा कोलापुरम् का संस्कृत रूप लगता है । ११ और १२वीं शती में यह चोल की राजधानी रही है । इस प्रकार वर्तमान त्रिचनापल्ली और तंजौर के जिले तथा पुटुकोट्टा राज्य का भाग पहले चोल कहलाता था ।
२३. जनपद
जनपद का उल्लेख मात्र एक बार हुआ है। इसको राजधानी भूमितिलकपुर थी। जनपद की पहचान अभी नहीं हो पायी है, फिर भी यशस्तिलक के आधार पर लगता है कि यह कुरुक्षेत्र के आसपास का भाग रहा होगा। दो मित्र भूमितिलकपुर से चल कर कुरुजांगल के हस्तिनापुर में पहुंचते हैं।
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२४. डहाल
यशस्तिलक में डहाल का उल्लेख एक बार हुआ है । डाहाल या डहाल को चेदी राजाओं की राजधानी बताया जाता है । सोमदेव के अनुसार यहाँ अच्छी किस्म के गन्ने की खेती होती थी । ६२ डहाल की स्वस्तिमती नाम को नगरी में अभिचन्द्र, द्वितीय नाम विश्वावसु, नामक राजा राज करता था । ६३ २५. दशार्ण
सोमदेव ने दशार्ण का दो बार उल्लेख किया है । ६४ एक स्थान पर संस्कृत टीकाकार ने दशार्ण को गोपाचल ( ग्वालियर ) से चालीस गव्यूति ( ८० कोस ) दूर लिखा है । ६५ पूर्वी मालवा और उससे सम्बद्ध प्रदेश दशार्ण कहलाता है ।
५६. चोलीनयनोत्पलवनविकास ।
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पृ० १८०
चोलीनां सभंगदेशस्त्रीणाम् । - वही, सं० टी० चोली सुलतानर्तनमलयानिलः । - पृ० ३३
६०. चोलेश जलधिमुल्लंघ्य तिष्ठ । - पृ० १८७,
चोलदेशो दक्षिणापथे वर्तते । संगापुर ( गंगापुरपते ) - सं० टी०
६१. जनपदाभिधानास्पदे जनपदे भूमितिलकपुरपरमेश्वरस्य । - पृ० २८३ उत्त०
६२. इक्षुणावतारेविराजितमण्डलायां डहालायाम् । - पृ० ३५३ उत्त०
६३. डहालायामस्ति स्वस्तिमती नाम पुरी, तस्यामभिचन्द्रापरनामवसुविश्वावसुर्नामनृपतिः | वही
६४. पृ० ५६८ सं० पृ० १५३ उत्त०
६५. दर्शार्थं नाम नगरं गोपा चलाद् गव्यूतिचत्वारिंशति वर्तते । -
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• पृ० ५६८
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