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यशस्तिलककालीन भूगोल
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राष्ट्रकूटों और उत्तरकालीन कदम्बों को समकालीन शिलालेखों में तथा संस्कृत ग्रन्थों में कुन्तल का शासक बतलाया है । राष्ट्रकूटों की राजधानी मान्यखेट थी । हैदराबाद दक्षिण के गुलबर्गा जिले में स्थित आधुनिक मलखेट ही पुराना मान्यखेट था । किन्तु उत्तरकालीन चालुक्यों की राजधानी कल्याण थी, जो बीदर के निकट और मलखेड के एकदम उत्तर में लगभग ५० मील दूर है | उदयसुन्दरी कथा में लिखा है कि कुन्तल देश की राजधानी प्रतिष्ठान ( गोदावरी पर स्थित आधुनिक पैठण ) थी । अतः कुन्तल के अन्तर्गत केवल बम्बई प्रदेश का उत्तरकनारा जिला तथा मैसूर, बेलगांव और धारवाड़ के प्रदेश ही सम्मिलित नहीं थे, किन्तु उत्तर में वह बहुत आगे तक फैला था और जिसे आज दक्षिण मराठा प्रदेश कहते हैं, वह भी उसमें सम्मिलित था । ४९ १६. केरल
यशस्तिलक में केरल का उल्लेख छह बार हुआ है । संस्कृत टीकाकार ने पांच स्थानों पर केरल को दक्षिण में कहा । एक स्थान पर मलयाचल के निकट कहा है । * यशस्तिलक से केरल को प्राचीन सीमाओं का पता नहीं
चलता ।
१७. कौंग
कौंग का उल्लेख केवल एक बार हुआ है ( पृ० ४३१, सं० पू० ) । मैसूर का दक्षिणो प्रदेश नन्दिदुर्ग पर्यन्त तथा कोयम्बटूर और सालेम का प्रदेश करेंग कहलाता था । ५२
१८. कौशल
यशस्तिलक में कौशल का दो बार उल्लेख हुआ है । यशोधर के दरबार में जो राजे उपहार लेकर उपस्थित हुए उनमें कौशल नरेश भी था । ४६. इंडियन हिस्टॉ० क्वा० जिल्द २२, पृ० ३१० पर प्रो० मिराशी का लेख ५०, केरलीनां नयनदीर्घिका केलिकलहंसः । पृ० ३४
केरल महिला मुखकमलहंस । - १० १८८
केलि केरल संहर । - पृ० ३६६
केरले करालः । पृ० ४३१ दूताः केरलचोल सिंहलराक | - पृ०४६६ केरल कुलकुलिशपात । पृ० ५६७ ५१. केरल मलयाचलनिकटवर्तिन् । पृ० ३६६ ५२. रेप्सन - इंडियन कोइन्स, पृ० ३६
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