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यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन
की स्त्रियों के सिर बड़े-बड़े होते हैं ।२७ यहीं कम्बोज को टीकाकार ने कश्मीर आदि देश कहा है ।२८ पर टीकाकार का यह कथन ठीक नहीं है। कम्बोज की पहचान गन्धार के एकदम उत्तर-पश्चिम में की जाती है । २९ वास्तव में कम्बोज के विषय में भारतीय इतिहासकारों के दो मत हैं ।
कम्बोज के घोड़े अच्छी किस्म के माने जाते थे ।3° सोमदेव की सूचनानुसार यशोधर के अन्तःपुर में कम्बोज की भी कमनीय कामिनियां थीं। १
७. कर्णाट
यशस्तिलक में कर्णाट का उल्लेख तीन बार हुआ है। संस्कृत टोकाकार ने एक स्थान पर कर्णाट का अर्थ वनवास,३२ एक स्थान पर दक्षिणापथ33 तथा एक अन्य स्थान पर विदर आदि देश किया है।३४ हैदराबाद जनपद का बीदर नामक स्थान प्राचीन विदर है।
गोदावरी और कावेरी के बीच का प्रदेश जो पश्चिम में अरब सागर तट के समीप है तथा पूर्व में ७८ अक्षांश तक फैला है, कर्णाट कहलाता था।३५
८. करहाट
यशस्तिलक के अनुसार करहाट विन्ध्याचल से दक्षिण की ओर एक अत्यन्त समृद्धिशाली जनपद था। सोमदेव ने इसे स्वर्ग की लक्ष्मी के निकट कहा है।३६ यहां की एक विशाल गोशाला का सोमदेव ने विस्तार से वर्णन किया है।
वर्तमान में करहाट की पहचान बम्बई प्रदेश के सतारा जिले में कोहना और कृष्णा नदी के संगम पर स्थित करहाट प्रदेश से की जाती है।
२७. कम्बोजपुरन्ध्रीणां बृहन्मुण्डानाम् । -पृ० १८६, सं० टी० २८. कम्बोजपुरन्ध्रीणां कश्मीरादिदेशस्त्रीणाम् । -वही २६. रे० डेविड, वही, पृ० २८ ३०. कुलेन काम्बोजम् । -पृ ३०८ ३१. कम्बोजीनां नाभिवल भिगर्भसंभोगभुजंगः। -पृ. ३४ ।
कम्बोजपुरन्धोतिलकपत्र । -पृ० १८८ ३२ कर्णाटीनां वनवासयोषितानाम् । -पृ० ३४ सं० टी० ३३. कर्णाटयुवतीनां दक्षिणपयस्त्रीणाम् ।-पृ० १८० ३४. कर्णाटयुवतीनां विदरा विदेशस्त्रीणाम् ।-पृ० १८६ ३५. सोर्स ऑव कर्णाटक हिस्ट्री भाग १, पृ० ७ ३६. त्रिदशदेशाश्रयश्रीनिकटः । -पृ० १८२
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