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यशस्तिलककालीन भूगोल
२६९ दक्षिण प्रदेश तथा हैदराबाद का उत्तर भाग भी इसमें शामिल रहा है। डॉ० सरकार तथा डॉ. मिराशी ने इसके विषय में विशेष विवरण दिया हैं । २१ ४. अन्ध्र
यशस्तिलक में अन्ध्र का दो बार उल्लेख है। मारिदत्त को अन्ध्र प्रदेश की स्त्रियों के साथ क्रीड़ा करने वाला बताया है । २२ सोमदेव के उल्लेख से ज्ञात होता है कि अन्ध्र की स्त्रियां प्राचीन काल से ही पुष्प प्रसाधन की बहुत शौकीन रही हैं। मारिदत्त को अन्ध्र स्त्रियों के अलकों में लगो वल्लरी को बढ़ाने के लिए मेव के समान कहा है ।२3 सोमदेव के कथन से उस समय के अन्ध्र की सीमाओं का पता नहीं चलता। ५. इन्द्रकच्छ
सोमदेव ने लिखा है कि इन्द्रकच्छ देश में रोरु कपुर नाम का नगर था जिसे मायापुरी भी कहते थे ।२४ मुद्रित प्रति में रोरुकपुर नाम छूट गया है।
रोरुकपुर बौद्ध ग्रन्यों का रोरुक जान पड़ता है। दीर्घनिकाय, महागोविन्द सुत्त (पृ० १७५ ) के अनुसार रोरुक सौवीर देश को राजधानी थी। कच्छ की खाड़ी में यह व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र था ।२५ सोमदेव ने रोरुकपुर के औदायन नामक एक अत्यन्त सेवाभावी सम्राट् का वर्णन किया है। उसकी अतिथिसत्कार को चर्चा इन्द्रपुरी तक में पहुँच गयी थी और दुनिया में उसका कोई भी सानी नहीं माना जाता था ( आ० ६, क० ९)। ६. कम्बोज
यशस्तिलक में कम्बोज का तीन बार उल्लेख है। संस्कृत टीकाकार ने एक स्थान पर कम्बोज को वाल्हीक बताया है ।२६ एक स्थान पर लिखा है कि कम्बोज २१. सरकार-दी वाकाटकाज एण्ड दी अश्मक कन्टरी, इंडियन हिस्टॉरिकल
क्वार्टरली, भा० २२, पृ० २३३ मिराशी-हिस्टॉरीकल डाटाज़ इन दंडिनाज दशकुमारचरित, एनाल्स ऑव
भंडारकर ओरियंटल रिसर्च इंस्टोट्यूट, भाग २६, पृ० २० २२. अन्ध्री कुचकुडमलकृतविलास । -पृ० १८० । अन्ध्रीणां तिलंगदेशस्त्रीणां । -वही,
सं० टी० २३. आन्ध्रीणामलकवल्लरीविजृभण जलधरः। -पृ० ३३ २४. इन्द्रकच्छदेशेषु रोरुकदेशेषु, मायापुरीत्यपरनाम । -प्रा० ६, क० ६ २५. रै० डेविड -बुद्धिस्ट इंडिया, पृ० ३८ २६. काम्बोजं वाल्हीकदेशोद्भवम् । -पृ० ३०८ सं० टी०
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