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यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन
३. अश्मक
यशस्तिलक में अश्मक का दो जगह उल्लेख है ।१२ एक स्थान पर अश्मक को अश्मन्तक कहा गया है । अश्मक और अश्मन्तक एक ही शब्द हैं । ___ यशस्तिलक के संस्कृत टीकाकार ने अश्मन्तक को सपादलक्षपर्वत बतलाया है। एक अन्य प्रसंग में बर्बर नरेश का उल्लेख है ।१४ संस्कृत टीकाकार ने बर्बर को सपादलक्ष के पहाड़ी प्रदेश का शासक कहा है ।१५ इस तरह अश्मक, अश्मन्तक और बर्बर प्रदेश एक ही होना चाहिए । अश्मक की राजधानी पोदनपुर थी। पोदनपुर की पहचान हैदराबाद के निजामाबाद जिले में स्थित बोधन ग्राम से की जाती है। यह गोदावरी नदी की एक सहायक नदी के निकट
बसा है।१६
पोदनपुर का उल्लेख यशस्तिलक में भी आया है। इसके अनुसार यह रम्यक देश में था। पर्भनी शिलालेख के अनुसार चालुक्य सामन्त युद्धमल्ल प्रथम सपादलक्ष देश का शासक था और उसके हाथी पोदन में तेल भरे तालाब में नहाते थे ।१९
पालि साहित्य में अश्मक को अस्सक कहा है ।२० अस्सक को राजधानी पोटन बतायी गयी है। सुत्तनिपात ( गा० ९७७ ) के अनुसार अस्सक गोदावरी के तट पर स्थित था। __इस विवरण से ज्ञात होता है कि हैदराबाद का निजामाबाद जिला तथा उससे सम्बद्ध प्रदेश अश्मक कहलाता था। बहुत सम्भव है कि बरार का सबसे
१२. अश्मन्तक वेशविहाय याहि । - पृ०६८।२ हि०
अश्मकवंशवैश्वानरः। -पृ० ३७७। २ हि० १३. अश्मन्तक सपादलक्षपर्वतनिवासिन् । - पृ० १८८ सं० टी० १४. पृ० २५११५ हि० १५, पृ. ३१६ सं० टी० १६. सालेटोर–दी सदर्न अश्मक, जैन एन्टीक्वैरी, भा० ६, पृ० ६० १७. प्रा० ७, क० २८ १८. रम्यकदेशाभिवेशोपेतपोदनपुरनिवेशिनः । - आ० ७, क० २८ १६. अस्त्यादित्यभवो वंशश्चालुक्य इति विश्रुतः।
तत्राभूद् युद्धमल्लाख्यो नृपतिविक्रमार्णवः ।। सपादलक्षभूभर्ता तैलवाप्यां च पोदने ।
अवगाहोत्सवं चक्रे शक्रश्रीमददन्ति नाम् ।। २०. दीर्घनिकाय, महागोविन्द सुत्तन्त .
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