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परिच्छेद एक
जनपद
यशस्तिलक में सैंतालिस जनपदों का उल्लेख है। विशेष जानकारी इस प्रकार है१. अवन्ति
यशस्तिलक में अवन्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है। अवन्ति मालव का प्राचीन नाम था, इसकी राजधानी उज्जैन थी। सोमदेव ने अवन्ति को स्वर्ग का उपहास करनेवाली२ तथा समस्त लोगों की अभिलषित वस्तुओं का भाण्डार होने से सुर-पादपों ( कल्पवृक्षों) के अहंकार का तिरस्कार करनेवाली कहा है ।
अवन्ति जनपद में स्थान-स्थान पर दान-शालाएँ,४ प्रपा और तालाब,५ बगीचे तथा धर्मशालाएँ६ बनी थीं । वहां के लोग विशेष अतिथि-प्रिय थे। २. अंग
यशस्तिलक में अंग मण्डल का दो बार उल्लेख हुआ है। एक विभिन्न देशों से आये हुए दूतों के प्रसंग में, दूसरा छठे उच्छवास की आठवीं कथा में। इनके अनुसार अंग देश की राजधानी चम्पा थी। वहां वसुवर्धन नामक राजा राज्य करता था। उसकी लक्ष्मीमति रानी थी। प्राचीन भारत में, वर्तमान बिहार प्रान्त के भागलपुर, मुंगेर आदि जिलों का प्रदेश अंग कहलाता था।
१. पृ० १६६ से २०४ २. प्रहसितवसुवसतिकान्तयः ।-वही ३. निखिललोकाभिलाषविलासिवस्तुसंपत्तिनिररतसुरपादपमदो जनपदः। -वही ४. संपादितसत्रमैत्रीमनोभिः। - पृ० १६६ ५. प्रपानिवेशैः सरः प्रदेशः। -पृ० २०० ६. वसतिसंतानैलताप्रतानैः।- पृ० २०१ . ७. कृतकृतार्थातिथयः। -पृ० २०१, नित्यं कृतातिथेयेन धेनुकेन सुधारसैः । -पृ० १९८ ८. अन्यैश्चांगकलिंग | - पृ० ४६६ सं० पू० ६. अंगमण्डलेषु-चम्पायां पुरि । -- पृ० २६१ उत्त० १०. वसुवर्धनाभिधानो''वसुधापतेः। - वही ११. लक्ष्मीमतिमहादेवी। - वही
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