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________________ २१ परिच्छेद ४ : यन्त्रशिल्प .... २५८-२६४ यन्त्रधारागृह का विस्तृत वर्णन, यन्त्रजलधर या मायामेघ, पाँच प्रकार के वारिगृह, यन्त्रव्याल और उनके मुँह से झरता हुआ जल, यन्त्र हंस, यन्त्र गज, यन्त्रमकर, यन्त्र वानर, यन्त्र देवता, यन्त्रवृक्ष, यन्त्र पुतलिकायें, यन्त्रधारागृह का प्रमुख आकर्षण यन्त्रस्त्री, यन्त्रपर्यक, यान्त्रिक-शिल्प की उपयोगिता। अध्याय चार : सोमदेवकालोन भूगोल परिच्छेद १ : जनपद " २६७-२८१ अवन्ति, अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी, अंग और उसकी राजधानी चम्पा, वसुवर्धन नृप और लक्ष्मीमति रानी, अश्मक-अश्मन्तक, सपादलक्ष-बर्बर, राजधानी पोदनपुर, पाली साहित्य का अस्सक, अन्ध्र की पुष्प-प्रसाधन परम्परा, इन्द्रकच्छ रोरुकपुर, बौद्ध ग्रन्थों का रोरुक, औद्दायन राजा, कम्बोज-वाल्हीक, कर्णाट, करहाट, कलिंग, कलिंग के विशिष्ट हाथी, महेन्द्रपर्वत, समुद्रगुप्त प्रशस्ति का उल्लेख, कथकैशिक, कांची, काशी, कीर, कुरुजांगल, कुन्तल, केरल, कौंग, कौशल, गिरिकूटपत्तन, चेदि, चेरम, चोल, जनपद, डहाल, दशार्ण, प्रयाग, पल्लव, पांचाल, पाण्डु या पाण्ड्य, भोज, बर्बर, मद्र, मलय, मगध, यौधेय, लम्पाक, लाट, वनवासी, बंग या बंगाल, बंगी, श्रीचन्द्र, श्रीमाल, सिन्धु, सूरसेन, सौराष्ट्र, यवन, हिमालय । परिच्छेद २ : नगर और ग्राम ... २८२-२९१ अहिच्छत्र, अयोध्या, उज्जयिनी, एकचक्रपुर, एकानसी, कनकगिरि, कंकाहि, काकन्दी, काम्पिल्य, कुशाग्रपुर, किन्नरगीत, कुसुमपुर, कौशाम्बी, चम्पा, चुंकार, ताम्रलिप्ति, पद्मावतीपुर, पद्मनीखेट, पाटलिपुत्र, पोदनपुर, पौरव, बलवाहनपुर, भावपुर, भूमितिलकपुर, उत्तर मथुरा, दक्षिण मथुरा या मदुरा, मायापुरी, मिथिलापुर, माहिष्मती, राजपुर, राजगृह, वलभी, वाराणसी, विजयपुर, हस्तिनापुर, हेमपुर, स्वस्तिमति, सोपारपुर, श्रीसागरम् या सिरीसागरम्, सिंहपुर, शंखपुर । परिच्छेद ३ : बृहत्तर भारत "" २९२-२९३ नेपाल, सिंहल, सुवर्ण द्वीप, विजयार्ध तथा कुलूत । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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