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परिच्छेद २ : चित्र - कला
२४१ - २४५ भित्तिचित्र, भित्तिचित्र बनाने को विशेष प्रक्रिया, भीत का पलस्तर तैयार करना और उस पर आकार टीपना । सोमदेव द्वारा उल्लिखित जिनालय के भित्तिचित्र, बाहुबलि, प्रद्युम्न, सुपार्श्व अशोक राजा और रोहिणी रानी तथा यक्ष- मिथुन के भित्तिचित्र । तीर्थंकर की माता के सोलह स्वप्नों का चित्रांकन - ऐरावत हाथी, वृषभ, सिंह, लक्ष्मी, पुष्पमालाएँ, चन्द्र और सूर्य, मत्स्ययुगल, पूर्णकुंभ, पद्म सरोवर, सिंहासन, समुद्र, फणयुक्त सर्प, प्रज्ज्वलित अग्नि, रत्नों का ढेर और देवविमान | रंगावलि या धूलि चित्र, धूलिचित्रके दो भेद, धूलिचित्र बनाने का तरीका । प्रजापतिप्रोक्त चित्रकर्म और उसका उद्धरण, तीर्थंकर के समवशरण का चित्र बनाने वाला कलाकार । चित्रकला के अन्य उल्लेख, केतुकाण्डचित्र, चित्रार्पित द्विप, झरोखों से झाँकती हुई कामिनियाँ ।
परिच्छेद ३ : वास्तु-शिल्प
२४६-२५७
चैत्यालय, चैत्यालयों के उन्नत शिखर, शिखर - निर्माण का विशेष शिल्पविधान, अनि पर सिंह निर्माण की प्रक्रिया, आमलासार कलश तथा स्वर्णकलश, ध्वजस्तंभ, स्तम्भिकाएँ और ध्वजदण्ड, चन्द्रकान्त के प्रणाल, किंपिरि, विटंक, पालिध्वज, स्तूप । त्रिभुवनतिलकप्रासाद, उत्तुंगतरंगतोरण, रत्नमयस्तंभ । त्रिभुवनतिलकप्रासाद के वर्णन में आयों महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ - पुरंदरागार, चित्रभानुभवन, धर्मधाम, पुण्यजनावास, प्रचेतः पस्त्य, वातोदवसित, धनदधिष्ण्य, ब्रघ्नसौध, चन्द्रमन्दिर, हरिगेह, नागेशनिवास तथा तण्डुभवन । आस्थानमण्डप का विस्तृत वर्णन, आस्थानमंडप के निकट गज और अश्वशाला, सरस्वतीविलासकमलाकर नामक राजमंदिर, दिग्वलयविलोकनविलास नामक भवन, करिविनोदविलोकनदोहन नामक क्रीडाप्रासाद, मनसिजविलास हंसनिवास तामरस नामक अन्तःपुर, दीर्घिका का विस्तृत वर्णन, पुष्करणी, गंधोदक कूपक्रीड़ावापी, हर्षचरित और कादम्बरी में दीर्घिका वर्णन, मुगलकालीन महलों की नहरे विहिश्त, खुसरु परवेज के महल की नहर, हेम्टन कोर्ट का लांग वाटर केनाल । प्रमदवन, प्रमदवन के विभिन्न अंग ।
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