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विशिष्ट शब्दावली । असिधेनुका या शस्त्री, असिधेनुका के प्रहार का तरीका, असिधेनुकाधारकी सैनिक । कर्तरी, कटार, कृपाण, खड्ग, कौक्षेयक या करवाल, तरवारि, भुसुंडि, मण्डलान, असिपत्र, अशनि, शिल्प और चित्रों में अशनि का अंकन, साहित्य में अशनि के उल्लेख, अशनिधारी सैनिक, अंकुश, अंकुश का अपरिवर्तित स्वरूप, शिल्प और चित्रों में अंकुश का अंकन, कणय, कणय की पहचान, परशु या कुठार, प्रास, कुन्त, भिन्दिपाल, करपत्र, गदा, दुस्फोट, मुद्गर, परिघ, दण्ड, पट्टिस, चक्र, भ्रमिल, यष्टि, लांगल, शक्ति, त्रिशूल, शंकु, पाश,
वागुरा, क्षेपणिहस्त और गोलधर । अध्याय तीन : ललित कलाएँ और शिल्प-विज्ञान परिच्छेद १ : गीत, वाद्य और नृत्य
२२३-२४० तौर्यत्रिक, भरतमुनि और उनका नाट्यशास्त्र, संगीत का महत्त्व और प्रसार, गीत और स्वर का अनन्य संबंध, सप्त स्वर, वाद्यों के लिए सामान्य शब्द आतोद्य, वाद्यों के चार भेद, घन, सुषिर, तत और अवनद्ध वाद्य, यशस्तिलक में उल्लिखित तेईस प्रकार के वाद्ययन्त्र, शंख, शंख को सर्वश्रेष्ठ जाति पांचजन्य, शंख एक सुषिर वाद्य, शंख के प्राप्ति स्थान, शंख प्रकृति-द्वारा प्रदत्त वाद्य, वाद्योपयोगी शंख, शंख से राग-रागनियाँ निकालना। काहला, काहला की पहचान, उड़ीसा में अब भी काहला का प्रयोग । दुंदुभि, दुंदुभि एक अवनद्ध वाद्य, प्राचीन काल से दुंदुभि का प्रचार । पुष्कर, पुष्कर का अर्थ, अवनद्ध वाद्यों के लिए पुष्कर सामान्य शब्द, महाभारत और मेघदूत में पुष्कर के उल्लेख । ढक्का, ढक्का की पहचान, ढक्का और ढोल । आनक, आनक एक मुँह वाला अवनद्ध वाद्य, नौवत या नगाड़ा और आनक । भम्भा, भम्भा एक अप्रसिद्ध वाद्य, साहित्य में भम्भा के उल्लेख, भम्भा एक अवनद्ध वाद्य । ताल, ताल एक प्रमुख घन वाद्य, ताल बजाने का तरीका, करटा एक अवनद्ध वाद्य, त्रिविला या त्रिविली, डमरुक, रुंजा, रुंजा की पहचान, घंटा, वेणु, वीणा, झल्लरी, वल्लकी, पणव, मृदंग, भेरी, तूर्य या तूर, पटह और डिण्डिम । नृत्य, नाट्शास्त्र, नाट्शाला नाट्यमंडप के तीन प्रकार, अभिनय और अभिनेता, रंगपूजा, नृत्य के भेद, नृत्य, नाट्य और नृत्त में पारस्परिक अन्तर, नृत्त के भेद, लास्य और ताण्डव ।
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