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________________ यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन म०म० गणपति शास्त्री ने लिखा है कि प्रास चौबीस अंगुल व दो पीठ का बनता था । यह सम्पूर्ण लोहे का होता था तथा बीच में काठ भरा रहता था। ७९ २१२ १७. कुन्त कुन्त का उल्लेख पांचाल नरेश के दूत के प्रसंग में हुआ है । कुन्त-विशेषज्ञ को सोमदेव ने कुन्तप्रताप कहा है ।" कुन्त सोधे और अच्छे बांस की लकड़ी लगाकर बनाया जाता था । इसे कंपा कर दूर से वक्षस्थल पर प्रहार करते थे । ८१ દર ८3 संस्कृत टीकाकार ने कुन्त का पर्याय प्रास दिया है । किन्तु सोमदेव हून दोनों को भिन्न-भिन्न मानते हैं, क्योंकि उन्होंने एक ही प्रसंग में दोनों का अलगअलग उल्लेख किया है । कौटिल्य ने भी दोनों को भिन्न माना है ।४ सात हाथ लम्बा कुन्त उत्तम, छह हाथ लम्बा मध्यम तथा पाँच हाथ लम्बा कनिष्ठ, इस तरह तीन प्रकार के कुन्त बनाये जाते थे हस्ताः सप्तोत्तमः कुन्तः षड्ढस्तैश्चैव मध्यमः । कनिष्ठः पंचहस्तैस्तु कुन्तमानं प्रकीर्तितम् ॥ - अर्थशास्त्र २ । १८, सं० टी० १८. भिन्दिपाल ૬ भिन्दिपाल का एक बार उल्लेख है । चण्डमारी के मन्दिर में कुछ सैनिक भिन्दिपाल लिये थे ।" म०म० गणपति शास्त्री के अनुसार बड़े फनवाले कुन्त को ही भिन्दिपाल कहते थे । मत्स्यपुराण ( १६०, १० ) के अनुसार भिन्दिपाल लोहे का ( अयोमय) होता था तथा फेंककर इसका प्रहार किया जाता था । वैजयन्ती ( पृ० ११७, १,३३१ ) में इसे लम्बे सिरे वाली लम्बी बर्धी कहा है ७६. प्रासश्चतुर्विंशत्यङ्गुलो द्विपीठ : सर्वलोहमयः काष्ठगर्भश्च । Jain Education International ८०. कुन्तप्रतापः सकोपं कुन्तमुत्तालयन् । पृ० ५५६ ८१. ऋजुः सुवंशोऽपि मदीय एष कुन्तः शकुन्तान्तकतर्पणाय । निर्भिद्य वक्षः पिठरप्रतिष्ठां तस्यासृजाजन्यभुवं बिभर्ति | वही ८२. कुन्तः प्रासः । -वही, सं० टी० ८३. पृ० ५६१ ८४. अर्थशास्त्र, ११८ ८५. अपरैश्च· · भुषंडिभिन्दिपाल । - १० १४५ ८६. भिन्दिपालः कुन्त एव पृथुफलः । - अर्थशास्त्र २ । १८, सं० टी० ८७. चक्रवर्ती पी० सी० - दी श्रार्ट श्राफ वार इन ऐंशियेंट इण्डिया, पृ० १६० For Private & Personal Use Only ८७ اد - अर्थशास्त्र २।१८ सं० टी० www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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