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________________ यशस्तिलककालीन सामाजिक जीवन २०९ किन्तु इससे यह मानना कठिन है कि अशनि का हथियार के रूप में व्यवहार उस समय ( १३वीं शती ) तक होता था । लगता है, इस आयुध का प्रयोग व्यवहार से बहुत पुराने समय में ही उठ गया था तथा इन्द्र देवता और कतिपय अन्य देवीदेवताओं के साथ सम्बद्ध होकर कला और शिल्प में शेष रह गया । १३. अंकुश यशस्तिलक में अंकुश के लिए अंकुश और वेणु शब्द आये हैं । संस्कृत टोकाकार ने वेणु का अर्थ वंशयष्टि किया है, जो कि गलत है। अंकुश सम्पूर्ण लोहे का बना करीब एक हाथ लम्बा होता है, जिसके एक किनारे एक सीधा तथा दूसरा मुड़ा हुआ नुकीला फन होता है। अंकुश का प्रयोग प्रारम्भ से हाथियों को वश में करने के लिए किया जाता रहा है । सोमदेव ने हाथियों को 'अंकुशमर्याद' (पृ० २१४) कहा है । यशस्तिलक का नायक अंकुश लेकर स्वयं ही हाथियों को शिक्षित किया करता था। सोमदेव ने सफेद बालों को इन्द्रियरूप हाथियों के निग्रह के लिए अंकुश के समान बताया है। अंकुश की गणना सोमदेव ने युद्धास्त्रों के साथ नहीं की, किन्तु वर्णरत्नाकर में इसे छत्तीस दण्डायुधों में गिनाया गया है। शिल्प और चित्रों में अंकुश देवी-देवताओं के हाथों में उनके चिह्न के रूप में देखा जाता है। ढाका के समीप मिलो महिषमदिनी की दस हाथ वाली मनोज्ञ मूर्ति एक हाथ में अंकुश भी लिये हैं । ' छानी ( बड़ौदा स्टेट ) के एक शास्त्रभण्डार के ओघनियुक्ति नामक सचित्र ताड़पत्रीय ग्रन्थ में अंकुश लिये अनेक देवियों के चित्र हैं । चतुर्भुज वज्रांकुशी देवी अपने ऊपर के दोनों हाथों में, काली देवी ऊपर के बायें हाथ में, महाकाली ऊपर के दायें हाथ में, गान्धारी कार के बायें हाथ में, महाज्वाला ऊपर के दायें हाथ में तथा मानसी ऊपर के दायें हाथ में ५५. यश० पृ० २१४ ५६. वही, पृ० २५३, ४६१ ५७. स्वयमेवगृहीतवेणुरिणान्विनिन्ये । -पृ० ४६१ ५८. करणकरिणां दर्पोट्रकप्रदारणवेणवः । -पृ० २५३ ५६. वर्णरत्नाकर, पृ० ६१ ६०. बनर्जी - डेवलपमेंट आफ हिन्दू आइकोनोग्राफी, फलक ८, चित्र २,६ ६१. भटशालो - ब्राह्म निकल स्कल्पचर्स इन द ढाका म्युजियम, फलक १६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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