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________________ यशस्तिलककालीन सामाजिक जीवन २०५ तलवार को कर्तरी कहते थे । पृथ्वीचन्द्रचरित ( १४२१ ई० ) में अस्त्रों की सूची में कर्तरी की गणना है ।२४ ४. कटार २५ गुर्जर सैनिक कमर में कटार बाँधे हुए थे जिसकी मूठ भैंसे के सींग की बनी हुई थी। संस्कृत टीकाकार ने इसका अर्थ छुरिका विशेष किया है ( कटारकश्च छुरिकाविशेष: ) । कटार को यदि छुरिका मान लिया जाये तो सोमदेव के द्वारा प्रयोग किये गये असिधेनुका, शस्त्री और कटार इन तीनों शब्दों को पर्यायवाची मानना चाहिए, किन्तु स्वयं सोमदेव ने असिधेनुका और कटार का पृथक्-पृथक् उल्लेख किया है । असिधेनुका और कटार में क्या अन्तर था यह स्पष्ट नहीं होता, फिर भी इनमें कुछ न कुछ अन्तर था अवश्य । सम्भवतया दोनों ओर धारवाली छोटी तलवार को कटार कहते थे । ५. कृपारण २३ उत्तरापथ के कुछ सैनिक हाथों में कृपाण उठाये हुए थे 1 यशोधर के में भी कृपाणधारी सैनिक थे । संस्कृत टीकाकार ने कृपाण का अर्थ खड्ग २७ जुलूस किया है । ૮ ६. खड्ग २९ तिरहुत की सेना अपने हाथों में खड्ग उठाये हुए थी, जिनसे निकलने वाली किरणों से आकाश तरंगित-सा हो उठा । चण्डमारी देवी के मन्दिर में मारिदत्त खड्ग उठाये खड़ा था। 30 एक स्थान पर खड्गयष्टि का उल्लेख है । सोमदेव ने लिखा है कि स्त्री पुरुष की मुट्ठी में स्थित खड्गयष्टि की तरह अपने अभिमत को सिद्ध कर लेती है । ३१ २४. उद्धृत, अग्रवाल - मध्यकालीन शस्त्रास्त्र, कला और संस्कृति, पृ० २६१ २५. माहिषविषाणघटितमुष्टिकटारकोत्कटकटी भागम् गौर्जरं बलम् । - पृ० ४६७ २६. करोत्तम्भितकर्तरीकरणयकृपाण औतरपथबलम् । पृ० ४३४ २७. कृपाणपाणिभिः । - पृ० ३३१ २८. कृपाणपाणिभिः उत्खातखड्गकरैः । - सं० टी० २६. उत्खातखड्गवलानविसारिधाराकर निकरतरं गितगगनभागम् । - पृ० ४६६ ३०. उत्खातखड्गो मुनिबालकाभ्यां व्यलोकि । पृ० १४७ ३१. स्त्री तु पुरुषमुष्टिस्थिता खड्गयष्टिरिव साधयत्यभिमतमर्थम् । - पृ० १३६ उत्त० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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