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यशस्तिलककालीन सामाजिक जीवन
२०३ ५५५,५९९ (१६) ज्या-धनुष की डोरो ५९,५९९ (१७) अटनि-धनुष का सांचेदार सिरा-किनारा ५७३
(१८) गुण-धनुष की डोरी
(६) मौर्वी-धनुष की डोरी ५५८
(२०) नाराच-बाण ७६,११४,५५६ (२१) काण्ड-बाण ५५८
(२२) विशिख-बाण २५९ उत्त
(२३) सायक-बाण ६००.६०१ (२४) बाण-बाण ५५८
(२५) नाराचपंजर-तरकस (२६) भस्त्रा-तरकस (२०) पुंख-बाण का पिछला भाग (२८) गोधा-धनुष को डोरी की रगड़ से रक्षा करने के
लिए हाथ में लपेट गया चमड़े का खोल । २५९ उत्त० (२९) शरकुरकी-तरकस ६००
(३०) खुरली-प्रयत्न-लाघवपूर्वक धनुष चलाना ५९९
(३१) ज्यारोप-धनुष पर डोरी चढ़ाना ६०० (३२) पुंखानुपुंखक्रम-इतने जल्दी बाण छोड़ना कि एक
बाण दूसरे बाण की पूंछ को छूता
४६७ ६०० ३३२
जाये।
०
६०१
६००
६०२
०
(३३) चापविजृम्मित-धनुष चलाने के प्रकार
(३५) कोदण्डाञ्चनचातुरी-धनुष खींचने की चतुराई ६००
(३५) शरव्य-जिस पर निशाना लगाया गया है । (११) लक्ष्य-निशाना
(३७) कोदण्डविद्या-धनुष-विद्या ६०२
(३८) मागणमल्ल-धनुर्धारी योद्धा २२२ उत्त० (३९) अयोमुख पुंख-लोहे के मुंह वाला बाण २. प्रसिधेनुका ___ छोटी तलवार या छुरी असिधेनुका कहलाती थी। सोमदेव ने इसे असिधेनुका और शस्त्री दो नाम दिये हैं। अमरकोषकार (२,८,९२) ने शस्त्री, असिपुत्री, छुरिका और असिधेनुका ये चार नाम दिये है । असिधेनुका की धार पर पानी
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