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यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन
सोमदेव ने यशोधर को अश्वविद्या में रैवत के समान कहा है । यशस्तिलक के दोनों टीकाकारों ने रैवत को सूर्य का पुत्र बताया है । मार्कण्डेय पुराण में भी रैवत या रैवन्त को सूर्य और वडवा का पुत्र कहा है ( ७५।२४ ) तथा गुह्यक मुख्य और अश्ववाहक बताया है । अश्वकल्याण के लिए रैवत की पूजा भी की जाती है (जयदत्त- - अश्व- चिकित्सा, विव० इंडिका १५५६, ७, पृ० ८५-६ ) । अश्वविद्या - विशेषज्ञों में सोमदेव ने शालिहोत्र का भी उल्लेख किया है। (१७३ हि०) । शालिहोत्रकृत एक संक्षिप्त रैवतस्तोत्र प्राप्त होता है ( तंजोर
ग्रन्थागार, पुस्तक सूची, पृ० २०० बी तथा कीथ का इंडिया आफिस केटलाग पृ० ७५८) । ७९
७९ राघवनू. ग्लो० प्रा० यश ०
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