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यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन
अश्व-विद्या
पट्टबन्ध उत्सव के उपरान्त महाराज यशोधर के समक्ष विजयवैनतेय नामक अश्व उपस्थित किया गया। इस अश्व के वर्णन में अश्वशास्त्र विषयक पर्याप्त जानकारी दी गयी है। शालिहोत्र नामक अश्वसेना-प्रमुख इस अश्व का वर्णन निम्नप्रकार करता है
राजन्, आश्चर्यजनक शौर्य द्वारा समस्त शत्रुसमूह को जीतने वाले अश्वविद्याविदों की परिषद् ने तत्रभवान् देव के योग्य अश्व के विषय में इस प्रकार कहा है-यह अश्व आपके ही सदृश सत्व से वासव, प्रकृति से सुभगालोक, संस्थान से सम, द्वितीय दशा को प्राप्त, दशों दशाओं का अनुभव करने वाला, छाया से पार्थिव, बल से वरीयांस, अनूक से कंठीरव, स्वर से समुद्रघोष, कुल से काम्बोज, जव ( वेग ) में वाजिराज, आपके यश की तरह वर्ण में श्वेत, चित्त की तरह बालधि (पूछ ) में रमणीय, कीर्तिकुलदेवता के कंतलकलाप की तरह केसर में मनोहर, प्रताप की तरह ललाट, आसन, जघन, वक्ष और त्रिक में विशाल, मयूरकण्ठ की तरह कन्धरा में कान्त, गज-कुंभा की तरह शिर में पराय, वटवृक्ष के सिकुड़े हुए छद पृष्ठ की तरह कानों से कमनीय, हनु ( चिबुक ), जानु, जंघा, बदन और घोणा ( नासिका ) में उल्लिखित की तरह, स्फटिकमरिण द्वारा बने हुए की तरह आँखों में सुप्रकाश, सृक, प्रोष्ठ और जिह्वा में कमलपत्र की तरह तलिन (पतला), आपके हृदय की तरह तालु में गम्भीर, अन्तरास्य (मुखमध्य ) में कमलकोश की तरह शोभन, चन्द्रमा की कलाओं से बने हुए के समान दशनों ( दाँतों) में सुन्दर, कुचकलश की तरह स्कन्ध में पीवर, कृपीट में वीरपुरुष के जटाजूट की तरह उबद्ध, निरन्तर जवाभ्यास के कारण सुविभक्त शरीर, गधे के अवलीक (रेखा रहित ) खुरों की आकृति वाली टापों द्वारा गमनकाल में रजस्वला (धूल युक्त ) पृथ्वी को न छूते हुए की तरह, अमृतसिन्धु में प्रतिबिम्बित पूर्णचन्द्र की तरह निटिलपुण्ड्र ( ललाटतिलक ) के द्वारा सम्पूर्ण पृथ्वीमण्डल में सम्राट के एक छत्र राज्य की घोषणा करते हुए के समान, उचित प्रदेश में आश्रित महीन, अविच्छिन्न, अविचलित, प्रदक्षिणा वृत्तियों के द्वारा, देवमणि, निःश्रेणी श्रीवृक्ष, रोचमान आदि आवों के द्वारा तथा शुक्ति, मुकुल, अवलीढ़ आदि के द्वारा सम्राट की कल्याण-परम्परा को व्यक्त करते हुए के समान, इसी प्रकार यह विजयवैनतेय नामक अश्व अन्य लक्षणों के द्वारा दशों क्षेत्रों में प्रशस्त है।।
इस विवरण के बाद वाजिविनोदमकरन्द नामक बन्दी ने अश्वप्रशंसापरक अठारह पद्य पढ़े । सम्पूर्ण सामग्री का तुलनात्मक विश्लेषण निम्नप्रकार है
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