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परिच्छेद ८ : आभूषण
१४०-१५१
शिरोभूषण - किरीट, मौलि, पट्ट, मुकुट । कर्णाभूषण-अवतंस, पल्लवावतंस, पुष्पावतंस, कर्णपूर, कणिका, कर्णोत्पल, कुण्डल | गले के आभूषण — एकावली, कण्ठिका, हार, हारयष्टि, मौक्तिमदाम । भुजा के आभूषण - अंगद, केयूर । कलाई के आभूषण - कंकण, वलय । अंगुलियों के आभूषण - उर्मिका, अंगुलीयक । कटि के आभूषण - काँची, मेखला, रसना, सारसना, घर्घरमालिका । पैर के आभूषण - मंजीर, हिंजीरक, नूपुर, तुलाकोटि, हंसक ।
परिच्छेद ९ : केश विन्यास, प्रसाधन सामग्री तथा पुष्प प्रसाधन
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१५२ - १६० केश धूपाना, आश्यानित केश, अलकजाल, कुन्तलकलाप, केशपाश, चिकुरभंग, धम्मिलविन्यास, मौली, सीमन्त सन्तति, वेणिदण्ड, जूट, कबरी । प्रसाधन-सामग्री - अंजन, कज्जल, अगुरु, अलक्तक, कुंकुम, कर्पूर, चन्द्रकवल, तमालदलधूलि, ताम्बूल, पटवास, पिष्टातक, मन:सिल, मृगमद, यक्षकर्दम, हरिरोहण, सिन्दूर । पुष्प प्रसाधन-अवतंस - कुवलय, कमलकेयूर, कदलीप्रवालमेखला, कर्णोत्पल, कर्णपूर, मृणालवलय, पुन्नागमाला, बन्धूकनूपुर, शिरीषजंघालंकार, शिरीषकुसुमदाम, विकिलहारयष्टि, कुरवकमुकुलस्रक् ।
परिच्छेद १० : शिक्षा और साहित्य
१६१ - १८८
शिक्षा का काल, गुरुकुल प्रणाली शिक्षा का आदर्श, शिक्षा समाप्ति के उपरान्त गोदान । शिक्षा के विषय, इन्द्र, जैनेन्द्र, चन्द्र, आपिशल, पाणिनि तथा पतंजलि के व्याकरणों का अध्ययन, गणितशास्त्र, गणितशास्त्र के आचार्य, भिक्षुसूत्र और पारिरक्षक, प्रमाणशास्त्र और उस के प्रतिष्ठापक आचार्य भट्ट अकलंक, राजनीति और नीतिशास्त्र के आचार्य गुरु, शुक्र, विशालाक्ष परीक्षित, पाराशर, भीम, भीष्म तथा भारद्वाज | गज-विद्या, गज-विद्या विशेषज्ञ आचार्य - रोमपाद, इभचारी याज्ञवल्क्य, वाद्धलि या वाहलि, नर, नारद, राजपुत्र तथा गौतम, अश्वविद्या, अश्व-विद्या विशेषज्ञ रैवत, शालिहोत्र, शालिहोत्रकृत रैवत स्तोत्र, रत्नपरीक्षा, शुकनास और अगस्त्य, बुद्धभट्टकृत रत्नपरीक्षा और उसका उद्धरण । आयुर्वेद और काशिराज धन्वन्तरि आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य - चारायण, निमि, धिषण और चरक । संसर्ग-विद्या या नाट्य
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