________________
१.६०
४६
७. पुन्नागमाला * जाती थी ।
-
- बन्धूक पुष्पों के नूपुर बना कर पहने जाते थे ।
८. बन्धूकनूपुर ६. शिरीषजंघालंकार ४८ - शिरीष पुष्पों का कोई अलंकार बना कर सम्भवतः जाँघों में पहना जाता था, जिसे शिरीषजंघालंकार कहते थे ।
*
१०. शिरीषकुसुमदाम ४९ - शिरीष के फूलों की एक प्रकार की माला बना कर गले में पहनी जाती थी ।
४७
११. विचकिलहारयष्टि - मोंगरे के पुष्पों की एक प्रकार की माला जिसे हारयष्टि कहा जाता था गले में पहनते थे । मोंगरे के कुड्मलों की हारयष्टि ५० बनती थी तथा फूले हुए मोंगरों के फूलों को बालों में सजाया जाता था । ५१
४६.५७११, हिन्दी ४७. १७/३, हिन्दी
१२. कुरवक मुकुलखक 51 २ - कुरवक के कुडुमलों की चमचमाती हुई लम्बी माला बना कर पहनी जाती थी जिसे 'कुवलयमुकलस्रकतारहार' कहते थे । हार के विषय में विशेष आभूषणों के प्रकरण में लिखा गया है ।
यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन
- पुन्नाग के फूलों की माला बनाकर गले में पहनी
४८, २७:२, हिन्दी ४६. ३५६ ७, हिन्दी
१०. ३५६ ७, हिन्दी ११. ३५७६, हिन्दी ५२. वही
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org