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________________ यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन संभवत: मध्य एशिया से आनेवाले शक लोग इस वेश को भारत में लाये, और उनके द्वारा प्रचारित होकर यह भारतीय वेशभूषा में समा गया । १०१ १३४ मथुरा संग्रहालय में जो कनिष्क की मूर्ति है उसमें नीचे लम्बा कंचुक और ऊपर सामने से घुराघुर खुला हुआ एक कोट दिखाया गया है, जिसकी पहचान चोलक से की जा सकती है । १०२ मथुरा से प्राप्त हुई सूर्य की कई मूर्तियों में भी इसी प्रकार के खुले गले का ऊपरी पहरावा पाया जाता है । चष्टन की मूर्ति का भी ऊपरी लम्बा वेश चोलक ही ज्ञात होता है । इसका गला सामने से तिकोना खुला है । कनिष्क और चष्टन के चोलकों में अन्तर है । ये दोनों दो प्रकार के हैं । efore का घुराघुर बीच में खुलने वाला है और चष्टन का दुपरतो, जिसका ऊपर का परत बायों तरफ से खुलता है तथा बीच में गले के पास तिकोना भाग खुला दिखाई देता है | कनिष्क की शैली का चोलक मथुरा संग्रहालय की डी० ४६ संज्ञक मूर्ति में और भी स्पष्ट है । १०३ I मध्य एशिया से लगभग सातवीं शती का एक ऐसा ही, पुरुष का चोलक प्राप्त हुआ है, जिसका गला तिकोना खुला है । १०४ चष्टन-शैली के चोलक का एक सुन्दर नमूना लाप मरुभूमि से प्राप्त मृण्मय मूर्ति के चोलक में उपलब्ध है । यह उत्तरी वाईवंश (३८६-५३५ ) के समय का है । १०५ करते बाणभट्ट ने राजाओं के वेशभूषा में चीन- चोलक का उल्लेख किया है । १०६ चण्ड |तक—चण्डातक का उल्लेख सोमदेव ने चण्डमारी देवी का वर्णन हुए किया है। गीला चमड़ा ही उस देवो का चण्डातक था ।' ०७ चण्डातक का अर्थ अमरकोषकार ने आधे जांघों तक पहुँचने वाला अधोवस्त्र 1 १०१. अग्रवाल - वही, पृ० १५१ मोतीचन्द्र - भारतीय वेशभूषा, १० १.६१ १०२. मथुरा म्युजियम हैंडबुक, चित्र ४, उद्धृत, अग्रवाल - हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० १५१ १०३. अग्रवाल - वही, पृ० १५२ १०४. वायवी सिलवान -- इन्वेस्टिगेशन ऑफ सिल्क फ्राम एड्सन गोल एण्ड लापनार (स्टकहोम, १९४९), प्ले०८-ए । ग्द्धत, अग्रवाल - वही, पृ० १५२ १०२. वायवी सिलवान - वही, पृ० ८३ चित्र सं० ३२ । उद्धत, अग्रवाल - वही, पृ० १५२ १०६, चापचितचीनचोलकैः । - हर्षचरित, पृ० २०६ १०७. चण्डातकमाद्रचर्माणि । यश० सं० पू० पृ० १५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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