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________________ परिच्छेद सात वस्त्र और वेषभूषा यशस्तिलक में भारतीय तथा विदेशी वस्त्रों के अनेक उल्लेख हैं। इन उल्लेखों से एक ओर प्राचीन भारतीय वेशभूषा का पता चलता है, दूसरी ओर प्राचीन भारत के समृद्ध वस्त्रोद्योग एवं विदेशी व्यापारिक सम्बन्धों पर भी प्रकाश पड़ता है। भारतीय साहित्य में वस्त्रों के अनेक उल्लेख मिलते हैं, किन्तु यशस्तिलक के उल्लेखों की यह विशेषता है कि उनसे कई एक वस्त्रों की सही पहचान पहले पहल होती है । इन वस्त्रों को मुख्यतया तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है..(१) सामान्य वस्त्र। (२) पोशाकें या पहनने के वस्त्र । . (३) अन्य गृहोपयोगी वस्त्र । सामान्य वस्त्रों में नेत्र, चीन, चित्रपटी, पटोल, रल्लिका, दुकूल, अंशुक और कौशेय आते हैं। पोशाकों में कंचुक, वारबाण, चोलक, चण्डातक, पट्टिका, कोपीन, वैकक्ष्यक, उत्तरीय, परिधान, उपसंव्यान, निचोल, उष्णीष, आवान, चीवर और कर्पट का उल्लेख है। कुछ अन्य गृहोपयोगी वस्त्रों में हंसतूलिका, उपधान, कन्था, नमत और वितान आए हैं। इन वस्त्रों का विशेष परिचय निम्नप्रकार है १. सामान्य वस्त्र सामान्य वस्त्रों में नेत्र, चीन, चित्रपटी, पटोल ओर रल्लिका का उल्लेख यशस्तिलक में एक साथ हुना है। सभामण्डप में जाते समय सम्राट यशोधर ने देखा कि घोड़ों को उक्त वस्त्रों की जीने पहनाई गयो हैं । नेत्र–श्रुतसागर ने नेत्र का अर्थ पतला पट्टकूल किया है । २ नेत्र के विषय में डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल ने हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन तथा जायसी के पदमावत में सर्वप्रथम विशेष रूप से प्रकाश डाला है। १. नेत्रचीनचित्रपटीपटोलरल्लिकाद्यावृतदेहानां...वाजिनाम् । -यश सं० पू०, पृ. ३६८ २. नेत्राणां सूक्ष्मपट्टकलवारलानाम् ।-वही सं• टीका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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