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गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण
८. २५ विकथाएँ, २५ कषाय और नोकषाय, ६ मन सहित पाँचों इन्द्रियाँ, ५
निद्राएँ, २ राग और द्वेष, इन सबके गुणनफल से यह ३७५०० की
संख्या बनती है। ९. स्टडीज़ इन जैन फिलॉसफी, पृ० २७८. १०. गोम्मटसार ( जीवकाण्ड ), गाथा ६१. ११. ज्ञानसार त्यागाष्टक ( दर्शन और चिन्तन, भाग २, पृ० २७५ पर उद्धृत )
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