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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only BE विभक्ति एक वचन प्रत्यय उवासग० प्रयोग बहुवचन प्रत्यय उवासग० प्रयोग आकारान्त स्त्रील्लिग शब्द प्रथमा भारीया (उवा० सू० ६५) ओ' भारीयाओ (उवा० सू० २३५) द्वितीया (.) अनुस्वार सुरं (उवा० सू० २४०) । तृतीया कहाए (उवा० सू० १०) भारियाहिं (उवा० सू० २३५) षष्ठी दोणियाए (उवा० सू० २३५) इकारान्त उकारान्त स्त्रीहिलग शब्द .. प्रथमा कोडिओ (उवा० सू० १६३) . द्वितीया (.) अनुस्वार जोणि (उवा० सू० ११) । षष्ठी सत्थवाहीए (उवा० सू० १४७) सप्तमी जोणिए (उवा० सू० ११) ___सु जोणिएसु (उवा०सू० ११) । ईकारान्त ऊकारान्त स्त्रील्लिग शब्द प्रत्ययलोप नयवादी (उवा० सू० २१९) ओ हिरण्णकीडिओ (उवाः सू० २३१) पभू (उवा० सू० २१९) द्वितीया (.) अनुस्वार रेवइं (उवा० सू० २५५) तृतीया रेवईए (उवा० सू० २६१) १. "स्त्रियामुदोतौ”–प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ३/२७ २. "टा-ड० स्-डे०रदादिदेवा तु डसेः"--प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ३/२९ उपासकदशांग : एक परिशीलन प्रथमा www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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