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________________ - विभक्ति Jain Education International सप्तमी दोर्घ३ णा jios For Private & Personal Use Only एक वचन प्रत्यय उवासग० प्रयोग बहुवचन प्रत्यय उवासग० प्रयोग षष्ठी दिसिव्वयस्स (उवा० सू० ५०) । समयंसि (उवा० सू० १५१) सु कारणेसु (उवा० सू० ५) देवे (उवा० सू० १५१) इकारान्त, उकारान्त पुल्लिग शब्द प्रथमा गाहावई (उवा० सू० २३२) प्रत्यलोप जियसत्तु (उवा० सू० २६९) तृतीया वाहिणा (उवा० सू० २५५) हेऊहि (उवा० सू० २१९) चतुर्थी, षष्ठी स्स गाहावइस्स (उवा० सू० ६) बहूणं (उवा० सू० ५) पुल्लिग सर्वनाम शब्द प्रथमा तुमे (उवा० सू० १४६) तुब्भे (उवा० सू०९) (उवा० सू० २) द्वितीया (.) अनुस्वार तं (उवा० सू० १०) तृतीया तेणं (उवा० सू० २) चतुर्थी, षष्ठी तस्स (उवा० सू०६) सप्तमी तेसि सव्वेसि (उवा० सू०.११) १. "ङसः स्सः"--प्राकृत व्याकरण--आचार्य हेमचन्द्र, ३/१० २. "डे म्मि डे:"--प्राकृत व्याकरण--आचार्य हेमचन्द्र, ३/११ ।। ३. "अक्लीबे सौ"-प्राकृत व्याकरण--आचार्य हेमचन्द्र , ३/१९ ४. "टो णा"--प्राकृत व्याकरण--आचार्य हेमचन्द्र, ३/२४ ५. “इदुतो दीर्घः"--प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ३/१६ , ६. “अतः सर्वादे . जसः"-प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ३/५८ ७. "किंयत्तदभ्योङसः"--प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र,३/६३ ८. "डे०: स्सिं-म्मि-त्थाः"-प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र ३/५९ उपासकदशांग का रचनाकाल एवं भाषा एणं सिं www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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