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________________ Jain Education International उवासग० प्रयोग परिसा (उवा०सू०९) प्रथमा आरे सा आए कामभोए (उवा० सू० ६) मंसेहि (उवा० सू० २४०) वाहणेहिं उवा० सू०२०) ओदणेणं (उवा सू० ३५) कोलघरिएंहितो वएहितो (उवा० सू० २४२) ओ For Private & Personal Use Only शब्द रूपों को विशेषताएँ अकारान्त पुल्लिग शब्द विभक्ति एक वचन प्रत्यय उवासग० प्रयोग बहुवचन प्रत्यय ए' आणंदे (उवा० सू० ३) ओ तिक्खुत्तो (उवा० सू०९) द्वितीया (.) अनुस्वार अप्पाणं (उवा० सू० २) तृतीया एण' महावीरेण (उवा० सू० २) मणसा (उवा० सू० १३) चतुर्थी अमाघाए (उवा० सू० २४१) पंचमी गिहाओ (उवा० सू० १०) हितो आए नावाए (उवा० सू० १५८) १. "अत एत् सौ पुसि मागध्याम्"-प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ४/२८७ २. "जस्-शसोलक"-प्राकृत व्याकरण--आचार्य हेमचन्द्र , ३/४ ३. "अतः से ?:"-प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ३/२ ४. “अमोस्य"--प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ३/५ ५. "टा-आमो णः" एवं "टाण-शस्येत"-प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र ३/६, ३/१४ ६. "भिसो हि हि हिं' -प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र, ३/७ ७. "ड सेस् त्तो दो-दु-हि-हितो-लुकः"--प्राकृत व्याकरण--आचार्य हेमचन्द्र, ३/८ ८. "भ्यसस् तो दो दु हि हिन्तो सुन्तो"--प्राकृत व्याकरण-आचार्य हेमचन्द्र ३/९ उपासकदशांग : एक परिशीलन www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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