________________
उपासक दशांग का रचनाकाल एवं भाषा
१२. 'गृहम्' शब्द के लिए निम्न आदेश होते हैं । यथा
गृहम
घर गिहि
पर्यायं
पर्यायां
गृहम
गिह,
१३. 'पर्याय' शब्द के 'र्याय' भाग के स्थान पर विकल्प से 'इयाअ' एवं
"इयाय' आदेश होते हैं । यथा
उपासक
दशांगसूत्र
=
यथा
=
बारस
=
केस
तच्च (तृतीय) :
==
Jain Education International
=
१४. उपासक दशांगसूत्र में ऐसे शब्द भी सम्मिलित हैं जिनके रूप महाराष्ट्री से भिन्न होते हैं । यथा—
=
=
=
=
=
तच्च (तथ्य )
दोच्च
पडुप्पन्न
पव
( उवा० सू० १०, ८१, १०२)
पुव्वि
पुव्वं
( उवा० सू०५८, १९७)
ब्राह्मण
माहण
( उवा० सू० २१८)
१५. उपासकदशांगसूत्र में संख्यावाची शब्द भी महाराष्ट्री से भिन्न है ।
-
परियायं
परियाओ
-
=
महाराष्ट्री
( उवा० सू० १०, १२, ५८, ६१,
७७, ७८)
( उवा० सू० ५८ )
( उवा० सू० ६२)
(उवा० सू० २७१)
पाय
केरिस
तइअ
तच्छ
दुइअ पच्चुप्पण्ण ( उवा० सू० १८७)
६१
( उवा० सू० ५१ )
( उवा० सू० ७१, ७९)
( उवा० सू० ७०, ८५ )
( उवा० सू०७१, ९७, १०४ )
दुवालस आदि ( उवा० सू० १२, ५८, २११,
२३४)
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org