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________________ ५८ उपासकदशांग : एक परिशीलन ____ अर्धमागधी की प्रमुख विशेषताओं का सोदाहरण विवरण डॉ० शास्त्री ने अपनी पुस्तक में दिया है।' उन अर्धमागधी भाषा की प्रमुख विशेषताओं में से उपासकदशांगसूत्र में निम्न विशेषताएं पायी जाती हैं। वर्ण परिवर्तन सम्बन्धी विशेषताएं१. दो स्वरों के मध्यवर्ती असंयुक्त 'क' के स्थान पर 'ग' पाया जाता हैं। कहीं-कहीं पर 'त' एवं 'य' भी होते हैं । यथाआकाश = आगास (उवा० सू० ३/१३६, ३/१४५, ४/१५४) श्रावक = सावग (उवा० सू० २११) शाकविधि = सागविहि ( उवा० सू० ३८) 'क' का 'त' एवं 'य' यथा-- कोटुम्बिक = कोडुंबिय (उवा० सू० १२, ५९, २०६, २०७) माडम्बिक = माडंबिय (उवा० सू० १२) २. दो स्वरों के बीच का 'ग' प्रायः कायम रहता है । यथा आगमन - आगमणं ( उवा० सू० ८६) भगवान् = भगवं (उवा० सू० ९, १०, ११, ४४, ६०, ६२, ७५ ) ३. दो स्वरों के बीच में आने वाले 'च' एवं 'ज' के स्थान पर मागधी की तरह 'य' एवं 'त' दोनों बनते हैं । यथा नाराच = णाराय (उवा० सू० ७६) प्रवचन = पावयण (उवा० सू० १२, १०१,१११ २१०, २२२) व्रज ( उवा० सू० ४,१८,१५०) १. शास्त्री, नेमिचन्द्र-अभिनव प्राकृत व्याकरण, पृष्ट ४१०-४१७ २. क. "प्रथमस्य तृतीयः"-चण्ड प्राकृत लक्षण, सूत्र ३/१२ ___ ख. हेमचन्द्र-प्राकृत व्याकरण सूत्र १/१८२ ३. "ज- द्य- यां- यः"- हेमचन्द्र-प्राकृत व्याकरण, सूत्र ४/२९२ = वय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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