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उपासकदशांग : एक परिशीलन
है । इसमें ८३ प हैं । प्रत्येक पन्ने में ६ पंक्तियाँ व प्रत्येक पंक्ति में २८ अक्षर हैं । टब्बा साथ में है ।
(ग) यति जी (कलकत्ता) को प्रति प्रथम - यह प्रति कलकत्ता में एक यतिजी के पास में है । इसमें ४१ पन्ने हैं, मूलपाठ बीच में लिखा हुआ है, ऊपर व नीचे संस्कृत टीका है । इसमें संवत् १९१६ फाल्गुन सुदी ४ दिया हुआ है । यह प्रति शुद्ध है व ऐसा मालूम होता है कि किसी विद्वान् द्वारा लिखी हुई है । इसका मूल ८१२ श्लोक परिमाण हैं व टोका १०१६ श्लोक परिमाण हैं |
(घ) यति जी (कलकत्ता) की प्रति द्वितीय - यह कलकत्ता में एक यति जी के पास है । इसके ३३ पन्ने हैं । प्रत्येक पन्ने में ९ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ४८ अक्षर हैं । इसका समय मृगसर वदी ५ शुक्रवार संवत् १७४५ दिया हुआ है । यह श्री रेनीनगर में लिखी गयी है । टब्बा साथ में है । "
(च) अनूप संस्कृत लाइब्रेरी बीकानेर की प्रतियाँ - अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर, बीकानेर का प्राचीन पुस्तक भण्डार, जो कि पुराने किले में है, में उपासकदशांग की दो प्रतियाँ हैं ।
१. लाइब्रेरी पुस्तक नम्बर ९४६७ ( उपासगसूत्र ) पन्ने २४, प्रत्येक पन्ने में १३ पंक्तियां, एक पंक्ति में ४२ अक्षर, अहमदाबाद आंचलगच्छ श्री गुड़ा पार्श्वनाथ की यह प्रति है । प्रति में समय नहीं दिया गया है । प्रति अशुद्ध है । बाद में शुद्ध किया गया है, इसमें ग्रन्थाग्र परिमाण संख्या ९१२ दी है ।
२. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी पुस्तक नम्बर ९४६४, उपासक दशावृत्ति पंच पाठ सह, पत्र ३३, श्लोक परिमाण ९००, टीका ग्रन्थाग्र
१. उपरोक्त क, ख, ग, घ, ङ इन चारों प्रतियों का परिचय उपासकदशासूत्रअंग्रेजी अनुवाद सहित - कलकत्ता - ईस्वी सन् १८९० में प्रकाशित संस्करण .. में प्राप्त होता है । इसका अनुवाद व संशोधन डा० एम. ए. रुडोल्फ हार्नले ट्यूबिंजन फेलो आफ कलकत्ता युनिवर्सिटी, आनरेरी फाइलोलोजिकल सेक्रेट्री टू दी एसियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल ने किया है ।
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