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________________ उपासकदशांग का परिचय २३ ९००, प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पंक्तियाँ हैं, प्रत्येक पंक्ति में ३२ अक्षर हैं । प्रति पर संवत् नहीं है, परन्तु प्रति प्राचीन है।' . (छ) व्यक्तिगत प्रति-यह टब्बायुक्त प्रति मेरी व्यक्तिगत है, जो जिनचन्द्रसूरि के शिष्य हर्षवल्लभ द्वारा लिखी गयी है। इसमें ५२ पृष्ठ हैं। इसके अन्तिम पृष्ठ पर संवत् १९३६ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि लिखी हुई है। उपासकदशांग के प्रकाशित संस्करण विभिन्न लेखकों, मूर्धन्य मनीषियों व विद्वानों ने आगम साहित्य को जीवन्त रखने के लिए समय-समय पर अपने-अपने दृष्टिकोणों से आगमों को प्रकाशित किया । सभी प्रकाशन अपनी अलग-अलग विशेषताएं लिए हुए हैं । उपासकदशांग के अब तक निम्न संस्करण प्रकाशित हुए हैं : १. उपासकदशांग का सबसे प्रथम संस्करण देवनागरी लिपि में मुर्शिदाबाद वाले धनपत सिंह द्वारा प्रकाशित है। २. उपासकदशांग-सूत्र डॉ० एम० ए० रुडोल्फ हानले द्वारा बंगाल एशियाटिक सोसाइटी, कलकत्ता से १८९० ईस्वी में प्रकाशित हुआ। इस ग्रन्थ में अंग्रेजी अनुवाद व सम्पादन डॉ० हार्नले द्वारा किया गया है। उपलब्ध पाण्डुलिपियों का विवरण भी इसमें प्राप्त है । साथ ही साथ विस्तृत भूमिका ग्रन्थ में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। ३. श्रीमद्अभयदेवाचार्य-विहित-विवरण-युक्त उपासकदशांगम् आगमोदय समिति, महेसाणा से ईस्वी १९२० में प्रकाशित हुआ है। मूलपाठ प्राचीन प्रतीत होता है । साथ में संस्कृत विवरण भी दिया गया है । ४. उपासकदशांग-सूत्र, पी० एल० वैद्य, पूना द्वारा १९३० में प्रकाशित हुआ है। ५. उपासकदशा-सूत्र, आचार्य श्री घासीलालजी म. सा० द्वारा श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन संघ, करांची में ईस्वी सन् १९३६ को प्रकाशित हुआ है । इसमें मूल, संस्कृत छाया बाद में हिन्दी अनुवाद व अन्त में १. उपासकदशांगसूत्र--(सं०) पितलिया, धोसुलाल, पृ० २७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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