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________________ उपासकदशांग में वर्णित समाज एवं संस्कृति २२३ उपासकदशांगसूत्र के अनुवादक डॉ० हार्नले वाणिज्यग्राम आदि के राजा जितशत्रु एवं नवलच्छि और नवमल्लि आदि अठारह गणराज्यों के स्वामी चेटक को एक ही व्यक्ति मानते हैं।' ४. श्रेणिक-उपासकदशांगसूत्र के अनुसार श्रेणिक राजगृह का स्वामी था। इसे सेनिय, भंभसार, भिभिसार और बिम्बिसार भी कहा जाता है। यह महावीर का परमभक्त था। इसके पुत्र का नाम अभयकुमार था । वह कुशाग्रपुर में रहता था ।२ इन्द्रभूति गौतम-भगवान् महावीर का प्रथम मुख्य शिष्य इन्द्रभूति गौतम था। अपनी अतिशय विद्वत्ता के कारण गणधर बना। वैसे जैन साहित्य में ग्यारह गणधरों का उल्लेख है परन्तु उपासकदशांग में इन्द्रभूति का ही वर्णन मिलता है। आवश्यकनियुक्ति के अनुसार मगध की राजधानी राजगह के पास गोबरगांव में इसका जन्म हआ था।' यह आज भी नालन्दा का ही भाग माना जाता है। इन्द्रभूति की माता का नाम पृथ्वी व पिता का नाम वसुभूति था। गौतम इनका गोत्र था। इस प्रकार उपासकदशांगसूत्र में समाज और संस्कृति से सम्बन्धित प्रायः सभी अंगों का कम-ज्यादा मात्रा में वर्णन हुआ है। यद्यपि अनेक दृष्टियों से यह वर्णन समग्र सामाजिक स्थिति को प्रस्तुत नहीं करता, फिर भी दस श्रावकों के वर्णन में परिवार एवं समाज से सम्बन्धित बहुत सी बातें स्पष्ट हो जाती हैं, जिसके आधार पर तत्कालीन समाज और संस्कृति का मूल्यांकन करने में इससे काफी सहायता मिलती है। १. शास्त्री, देवेन्द्रमुनि - भगवान महावीर : एक अनुशीलन-व्यक्ति परिचय पृष्ठ २३ २. जैन, जगदीशचन्द्र-जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, परिशिष्ट २, पृष्ठ ५०६-८ ३. "मग्हा गुब्बर-गामे जाया तिन्नेव गोयम सगुत्ता" -आवश्यकनियुक्ति, गाथा ६४३ ४. आवश्यकमलयगिरिवृत्ति, ३३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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