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ऐतिहासिक पुरुष -
उपासक दशांगसूत्र में भगवान महावीर के अतिरिक्त उनके प्रमुख गणधर इन्द्रभूति गौतम, प्रमुख उपासक राजा जितशत्रु तथा श्रेणिक का वर्णन प्राप्त होता है |
उपासक दशांग : एक परिशीलन
साथ ही आजीवक मत के प्रमुख गोशालक का उल्लेख भी मिलता है । तत्कालीन ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर इनका वर्णन इस प्रकार है :
१. महावीर - महावीर जैनधर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे । इनके पिता का नाम सिद्धार्थ एवं माता का नाम त्रिशला था । इन्होंने तीस वर्ष की उम्र में दीक्षा धारण कर साढ़े बारह वर्ष कठोर तपाराधना कर 'केवल - ज्ञान' प्राप्त किया एवं बहत्तर वर्ष की अवस्था में निर्वाण प्राप्त किया । उपासकदशांगसूत्र में महावीर के दस श्रावकों का विस्तार से वर्णन मिलता है ।
२. गोशालक - उपासकदशांग में गोशालक व उसके आजीवक सम्प्रदाय का वर्णन प्राप्त होता है । गोशालक छद्मस्थ काल में भगवान् महावीर का शिष्य रहा था । बाद में महावीर का साथ छोड़कर आजीवक मत का तीसरा आचार्य बन गया ।" आजीवक सम्प्रदाय के अनुयायी गोशालक को अहंत्, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी व तीर्थंकर कहकर पूजते थे । इस सम्प्रदाय का उल्लेख जैन, ब्राह्मण और अशोक के अभिलेखों में प्राप्त है । भगवतीसूत्र के पन्द्रहवें अध्ययन में गोशालक की जीवनी वर्णित है ।
३. जितशत्रु – उपासकदशांगसूत्र के अनुसार वाणिज्यग्राम, चम्पा, वाराणसी, आलभिया, काम्पिल्यपुर, पोलासपुर एवं श्रावस्ती इन सात नगरों में जितशत्रु राजा राज्य करता था । इतिहास ग्रन्थों में जितशत्रु नाम के राजा का उल्लेख प्राप्त नहीं होता है । अतः यह जितशत्रु नाम व्यक्तिवाचक न मानकर विशेषण के रूप में माना गया है । जिसका अर्थ शत्रुओं को जीतने वाला किया जा सकता है । 3
१. भगवतीसूत्र, शतक १५
२. उवासगदसाओ - मुनि मधुकर, ७/१८१
३. उपासक दशांगसूत्र -मुनि आत्माराम, परिशिष्ट, पृष्ठ ३९६
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