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________________ उपासकदशांग में वर्णित समाज एवं संस्कृति २१३ प्रस्थान के लिए रथ और बैलों को विभिन्न आभूषणों से अलंकृत किया था। बैलों को उनके गले में सोने का गहना, जोत तथा चाँदी की लटकती हुई घंटियाँ और नाक में उत्तम सोने के तारों से मिश्रित पतली सी सूत की नाथ से जुड़ी रास आदि पहनाये गये। इसी तरह रथ को अनेक प्रकार की मणियों और सोने की बहुत सी घण्टियों से युक्त किया गया था। अन्य जैनागमों में चौदह प्रकार के आभूषणों का वर्णन प्राप्त होता है। जिनमें हार, अर्धहार, एकावलि, कनकावलि, रत्नावलि, आदि प्रमुख हैं।' सुवर्णपट्ट से श्रेष्ठियों का मस्तक भूषित किया जाता था एवं नाम-मुद्रिका अंगूठी में पहनी जाती थी। ___ आमोद-प्रमोद-आमोद-प्रमोद के साधनों में नट, नर्तक, जल्ल, मल्ल, मोष्टिक, विडंबक, कथक, प्लवक, लासक, आख्यायक, लंख, मंख, तूणइल्ल, तुंबवीणिक, तालाचर आदि का उस समय प्रचलन था। मनोरंजन के लिए क्रीड़ा, वाटिका, उद्यान आदि स्थानों का प्रयोग भी होता था ।४ गाथापति आनन्द गेहूँ के सुगन्धित आटे से उबटन भी कराता था। इस उबटन के प्रयोग के अलावा उसने सभी का त्याग कर दिया था। बोमारियाँ एवं दवाइयाँ-उपासकदशांग में १६ प्रकार को औषधियों का वर्णन प्राप्त है। इस सम्बन्ध में इससे अधिक जानकारी प्राप्त नहीं होती है। धार्मिक जीवन उपासकदशांगसूत्र में धार्मिक जीवन का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। १. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, १/५९, ७/२०६ २. जैन, जगदीशचन्द्र-जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृष्ठ १४२ ३. वही, पृष्ठ १४३ ४. उवासगदसाओ - मुनि मधुकर, १/६० ५. वही, १/२६ ६. वही, १/४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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