SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१२ उपासकदशांग : एक परिशीलन वस्त्र-भगवान महावीर के आगमन को जानकर आनन्द ने सभायोग्य शद्ध व मांगलिक वस्त्र पहने।' आनन्द ने वस्त्र विधि का परिमाण करते हुए दो सूती वस्त्रों के सिवाय अन्य सभी प्रकार के वस्त्रों के परित्याग का नियम लिया।२ आनन्द ने शरीर पोंछने के लिए एक सुगन्धित और लाल रंग के अंगोछे के अतिरिक्त सभी का त्याग किया। इससे लगता है कि सूती वस्त्रों के अलावा अन्य प्रकार के वस्त्र भी उस समय प्रचलित थे। __अन्य आगमों में कहा गया है कि लोग सुन्दर वस्त्र धारण करते थे। सभा में जाने के लिए शुक्ल वस्त्रों के धारण करने का उल्लेख भी मिलता है। साथ ही चार प्रकार के वस्त्रों का भी उल्लेख है :-प्रतिदिन पहनने योग्य, स्नान के पश्चात् पहनने योग्य, उत्सव और मेले में पहनने योग्य एवं राजा-महाराजा से भेंट के समय पहनने योग्य ।' आभूषण-राजा, मनुष्य, स्त्री व पशुओं से सम्बन्धित विभिन्न आभूषणों का उल्लेख भी उपासकदशांगसूत्र में मिलता है। एक प्रसङ्ग में राजा जितशत्रु ने तीथंकरों के छत्र आदि अतिशयों को देखकर अपने हाथी से उतर कर तलवार, छत्र, मुकुट, चंवर को अलग किया था। आनन्द ने भी सभा में जाने के लिए बहमल्य आभरणों से शरीर को अलंकृत किया था। आभरण विधि का परिणाम करते समय आनन्द ने शुद्ध सोने के अचित्रित कुण्डल एवं नामांकित मद्रिका के सिवाय सब गहनों का त्याग किया था।' आनन्द की सलाह से जब उसकी पत्नी शिवानन्दा भगवान महावीर के दर्शन करने के लिए जाने को तैयार हुई, उस समय उसके १. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, २/१०, १/५९ २. वही, १/२८ ३. वही, १/२२ ४. कल्पसूत्र, ४/८२ ५. बृहत्कल्पभाष्य, ५/६०३५ ६. वही, पीठिका, ६४४ ७. उवासगदसाओ-मनि मधुकर, १/९ ८. वही, १/१० ९. वही, १/३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy