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उपासकदशांग : एक परिशीलने मिलती है । महाशतक के रेवती आदि तेरह सुन्दर पत्नियां थीं। संभवतः यह बहुपत्नी प्रथा सामाजिक प्रतिष्ठा एवं गौरव का प्रतीक रही हो।
दहेज प्रथा-उपासकदशांगसूत्र में दहेज से अर्थ पीहर से लायी गयी वस्तु से लिया गया है। महाशतक की पत्नी रेवती के पास अपने पीहर से प्राप्त आठ करोड़ स्वर्ण मुद्राएं तथा दस-दस हजार गायों के आठ गोकुल थे | बाकी बारह पत्नियों के पास एक-एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएं और एक-एक गोकुल सम्पत्ति के रूप में पीहर से प्राप्त था।२ पीहर से प्राप्त दहेज का यह स्पष्ट प्रमाण उपासकदशांग में मिलता है।
सौतिया डाह-उपासकदशांगसूत्र में कहा गया है कि पत्नियों में आपस में ईर्ष्या भी होती थी। महाशतक की पत्नी रेवती के मन में विचार उठा कि मैं अपनी बारह सौतों के विघ्न के कारण अपने पति के साथ विपूल भोग का उपभोग नहीं कर पा रही हैं। अतः अच्छा हो कि मैं इन बारह सौतों को अग्नि-प्रयोग, विष-प्रयोग या शस्त्र-प्रयोग से मार दूं।३ रेवती ने अनुकूल अवसर पाकर छः सौतों को शस्त्र से एवं शेष छः को विष-प्रयोग से मार डाला। सौतिया डाह का यह जघन्य उदाहरण है।
पुत्र-पुत्र माता-पिता के आज्ञाकारी होते थे। ज्येष्ठ पुत्र को घर का भार सौंपा जाता था। आनन्द आदि सभी श्रावकों ने धर्माराधना में समय नहीं मिल पाने के कारण अपने परिवार का सम्पूर्ण दायित्व अपने ज्येष्ठ पुत्रों को सौंप दिया था। पिता की आज्ञा का आदर करते हुए पुत्र उस भार को विनयपूर्वक स्वीकार करते थे। माँ-बाप के प्रति पुत्र की अनन्य श्रद्धा होती थी । चुलनिपिता को पिशाच द्वारा मातृ वध की धमकी दिये जाने पर चुलनीपिता ने सोचा-जो देव-गुरु सदृश पूजनीय, मेरे
१. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, ७/२३३ २. वही,
८/२३४ ३. वही,
८/२३८ ४. वही,
८/२३९ ५. वही,
१/६६, ८/२४५, ९/२७२, १०/२७४ ६. वही,
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