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________________ श्रावकाचार १८३ कार्यों से मुक्त होकर शास्त्र वाचन, पठन तथा मनन का ही कार्य करता है । यह कार्य एकान्त स्थान, स्थानक, चैत्यालय या जिनमंदिर में किया जाता है । ५. कायोत्सर्गप्रतिमा कायोत्सर्ग का अर्थ शरीर का उत्सर्ग करने से है, अर्थात् अल्पकाल के लिए काय का मोह छोड़कर धर्म ध्यान में अपनेआप को लगाना कायोत्सर्ग है । उपासकदशांगसूत्रटीका में सम्यकत्व, अणुव्रतों और गुणव्रतों का धारक अष्टमी तथा चतुर्दशी के दिन रातभर कायोत्सर्ग करता है, रात्रिभोजन का त्याग करता है, दिन में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, सांसारिक प्रवृत्तियों का त्याग करता है, इसी को कायोत्सर्ग प्रतिमा कहा है । " दशाश्रुतस्कन्ध में उपर्युक्त चारों प्रतिमाओं के साथ इस प्रतिमा में प्रतिमाधारी स्नान नहीं करता, रात्रिभोजन नहीं करता, धोती के लांग नहीं लगाता, दिन में ब्रह्मचर्य और रात्रि में मैथुन - सेवन का परिमाण करता है, एवं इसे एक दिन से पाँच मास तक पालन करता है, उसे कायोत्सर्ग प्रतिमाधारी कहा है | दिगम्बर परम्परा में रात्रिभुक्तित्याग या दिवा मैथुनत्याग को स्वतन्त्र प्रतिमा गिना है, परन्तु श्वेताम्बर साहित्य में इसे कायोत्सर्गं या नियम प्रतिमा में समाविष्ट कर लिया है । रत्नकरण्डक श्रावकाचार एवं कार्तिकेयानुप्रेक्षा में अन्न, पान, खाद्य, लेह्य इन चारों ही प्रकार के आहार को नहीं खाता है, वह रात्रिभोजनत्याग प्रतिमाधारी होता है, इस प्रकार कहा है । उपासकाध्ययन और चारित्रसार में दिन में ब्रह्मचर्य का पालन १. " असिण वियडभोई मउलिकडो दिवस बंभयारी य । राई परिमाणकडो पडिमा वज्जेसु दियहेसु ॥ - उपासकदशांग सूत्रटीका - अभयदेव, पृष्ठ ५५ २. से णं असिणाणए, वियडभोई, मउलिकडे, दिया बंभयारी, रतिं परिमाण कडे । से णं एयारुवेण विहारेण विहरमाणे जहणेणं एगाहं वा दुयाहं व तियाहं व जाव उक्कोसेणं पंच मासं विहरइ " - दशाश्रुतस्कन्ध, ६/२१ ३. क. “अन्नं, पानं, खाद्य, लेह्यं नाश्नाति यो विभावर्याम् । स च रात्रिभुक्तिविरतः सत्त्वेष्वनुकम्पमानमनाः " ॥ Jain Education International - - रत्नकरण्डक श्रावकाचार, १४२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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