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श्रावकाचार
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कानिकेयानुप्रेक्षा में श्रावकधर्म के बारह भेद किये हैं।' यथा
(१) सम्यक्दर्शन (२) दार्शनिकश्रावक (३) प्रतिकश्रावक (४) सामायिकवती (५) पौषधवती (६) सचित्तत्याग (७) रात्रिभोजन त्याग (८) ब्रह्मचर्यवती (९) आरम्भत्याग (१०) परिग्रहत्याग (११) अनुमतित्याग (१२) उद्दिष्टत्याग
उपासकाध्ययन में केवल दो श्लोकों में ग्यारह प्रतिमाओं को गिना दिया है। जहाँ सचित्त त्यागको पांचवी एवं आरम्भत्यागको आठवी प्रतिमा माना है, उसे सोमदेव ने क्रम बदलकर आरम्भत्याग को पांचवी तथा सचित्तत्याग को आठवीं प्रतिमा कर दिया है।
इसके अतिरिक्त अमितगतिश्रावकाचार, वसुनन्दिश्रावकाचार, सागारधर्मामृत' में भी ग्यारह प्रतिमाओं का वर्णन प्राप्त होता है। इनके साथसाथ प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, धर्मोपदेशपीयूषश्रावकाचार तथा लाटीसंहिता में भी इसका विवेचन प्राप्त होता है। ___उपासकदशांगसूत्र, तत्त्वार्थसूत्र और उसके टीकाकार पूज्यपाद ने प्रतिमाओं का उल्लेख नहीं किया है। पुरुषार्थसिद्धयुपाय में भी ग्यारह प्रतिमाओं का उल्लेख नहीं है। इसके साथ-साथ आचार्य रविषेण ने पद्म
१. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा २४,२७ से २९,७० से ९० २. उपासकाध्ययन, ८२१ से ८२२ ३. अमितगतिश्रावकाचार, ७/६७ से ७८ ४. वसुनन्दिश्रावकाचार, २०५ से २१३ ५. सागारधर्मामृत, ३/७ से ७/३७
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