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उपासकदशांग : एक परिशीलन, ३. कालातिकम-उपासक्रदशांगसूत्रटोका में साधुओं के भोजन लेने के
समय को टाल देना अर्थात् भोजन समय को टालकर भिक्षा देने को तैयार होना कालातिकम कहा है ।' यथा
"कालातिक्रमः कालस्यसाधुभोजनकालस्यातिक्रम उल्लंघनं कालातिक्रमः".
चारित्रसार, सर्वार्थसिद्धि, श्रावकप्रज्ञप्तिटोका तथा लाटीसंहिता में आहार देने के समय उल्लङ्गन कर आगे या पीछे आहार दे तो इसे
कालातिक्रम बताया है। ४. परव्यपदेश-उपासकदशांगसूत्रटीका में न देने की नियति से अपनी वस्तु पराई बताना परव्यपदेश माना गया है । यथा
"परव्यपदेशः परकीयमेतत्तेनसाधुभ्योनदीयते इति साधु समक्ष"
सर्वार्थसिद्धि, तत्त्वार्थभाष्य, चारित्रसार तथा श्रावकप्रज्ञप्तिटीका में अन्य दाता की वस्तु बताकर दान देने को परव्यपदेश कहा है। ५. मत्सरिता-उपासकदशांगसूत्रटीका में ईर्ष्यावश आहार आदि देना
यथा-'अमुक ने अमुक दान दिया है, मैं इससे कम नहीं हूँ इस भावना से दान देना या क्रोधपूर्वक भिक्षा देने को भी मात्सर्य कहा है। यथा
१. उपासकदशांगसूत्रटीका-अभयदेव, पृ० ४७ २. क. "अणगाराणामयोग्ये काले भोजनं कालातिक्रम इति"-चारित्रसार, पृ. १४
ख. सर्वार्थसिद्धि, ७/३६ ग. श्रावकप्रज्ञप्तिटीका, ३२७
घ. लाटीसंहिता, ५/२३० ३. उपासकदशांगसूत्रटीका-अभयदेव, पृ० ४७ ४. क. "अन्यदातृदेयार्पणं परव्यपदेशः"-सर्वार्थसिद्धि
ख. तत्त्वार्थभाष्य, ७/३६ ग. चारित्रसार, पृ० १४
घ. श्रावकप्रज्ञप्तिटीका, ३२७ ५. उपासकदशांगसूत्रटीका, -अभयदेव, पृ० ४८
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